मधुबनी. सूबे की सरकार ने आंगनबाड़ी केंद्रों के बच्चों की ड्रेस की सिलाई का जिम्मा अब जीविका समूहों को सौंपा है. इस फैसले का मकसद ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना और गांवों में रोजगार देना है. महिला सशक्तीकरण व ग्रामीण स्तर पर स्वरोजगार को बढ़ावा देने की दिशा में चलाये जा रहे विशेष अभियान के तहत जिले के राजनगर, रहिका, फलपरास, लौकही, बाबूबरही, बासोपट्टी, मधवापुर प्रखंड में जीविका परियोजना द्वारा सिलाई-कटाई प्रशिक्षण केंद्र का शुभारंभ किया गया है. सिलाई सेंटर का उदघाटन नन फर्म के जिला प्रबंधक मुस्कान गुप्ता, प्रखंडों में बीपीएम और संकुल संघ की अध्यक्ष ने संयुक्त रूप से किया. जिले के सभी प्रखंडों में सिलाई-कटाई प्रशिक्षण केंद्र खोला जाएगा. एक बैच में पच्चीस जीविका दीदी रहेगी. इस कार्यक्रम के तहत 25 महिलाओं को सिलाई और कटाई का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. जिससे वह आत्मनिर्भर बन सकें और भविष्य में आंगनवाड़ी केंद्रों के बच्चों के लिए कपड़े सिलने का काम कर सकें. बताया कि सरकार ने पहले आंगनबाड़ी केंद्रों पर पढ़ने वाले बच्चों के लिए कपड़ा के लिए रुपये देती थी. लेकिन अब बच्चों के लिए कपड़ा की सिलाई कर उपलब्ध कराया जाएगा. कपड़ा की आपूर्ति जीविका दीदीयो द्वारा किए जायेंगे. प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद जीविका दीदियां आंगनवाड़ी केंद्रों के बच्चों के लिए कपड़े सिलने का काम करेंगी. प्रशिक्षण कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य गांव की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना और उन्हें रोजगार के अवसर प्रदान करना है. अवसर पर नन फर्म के जिला प्रबंधक मुस्कान गुप्ता ने कहा कि यह प्रशिक्षण न केवल जीविका दीदियों के लिए एक नया हुनर लेकर आया है, बल्कि यह उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने का मजबूत आधार प्रदान करेगा. आने वाले समय में दीदियां प्रखंड के बच्चों के लिए स्कूल यूनिफॉर्म भी तैयार करेंगी. कहा कि यह योजना महिलाओं के लिए आर्थिक मजबूती का जरिया बनेगी. ड्रेस की सिलाई तय मानकों के अनुसार होगी. इसके लिए दीदियों को प्रशिक्षण भी दिया गया है. यह पहल दीदियों के लिए स्थायी रोजगार का रास्ता खोलेगी. मौके पर जीविकोपार्जन विशेषज्ञ, क्षेत्रीय समन्वयक, सामुदायिक समन्वयक, सामुदायिक उत्प्रेरक,संकुल संघ की मास्टर बुक कीपर, मुख्य प्रशिक्षक व सहायक प्रशिक्षक उपस्थित थीं.
संबंधित खबर
और खबरें