Madhubani News : प्लास्टिक कचरा पर्यावरण के लिए गंभीर संकट

लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान व स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के तहत प्लास्टिक से होने वाले प्रदूषण से गांवों को बचाने की कवायद शुरू की गयी है.

By GAJENDRA KUMAR | July 2, 2025 10:08 PM
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मधुबनी.

लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान व स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के तहत प्लास्टिक से होने वाले प्रदूषण से गांवों को बचाने की कवायद शुरू की गयी है. इसके लिए प्लास्टिक कचरे का निस्तारण अब पंचायत स्तर पर करने की तैयारी चल रही है. प्लास्टिक मुक्त अभियान के तहत यह किया जा रहा है. जिले के पांच प्रखंड पंडौल, रहिका, बिस्फी, जयनगर एवं झंझारपुर में प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट का निर्माण कराया जा रहा है. इस यूनिट पर आसपास के गांवों के प्लास्टिक कचरे को मंगाकर उसकी प्रोसेसिंग की जाएगी.

यूनिट में लगाई जायेगी तीन मशीनें

इस तरह से होगा काम

पंचायत स्तर पर प्लास्टिक एकत्र करने के लिए जो संग्रहण केंद्र बने हैं. प्रखंड स्तर पर प्लास्टिक मैनेजमेंट यूनिट लगाया जा जा रहा है. जिसमें सबसे अधिक कचरा प्लास्टिक बोतलों और चिप्स कुरकुरे का रैपर होता है. विदित हो कि प्लास्टिक कचरा पर्यावरण के लिए गंभीर संकट बन चुका है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक सबसे अधिक प्रदूषण प्लास्टिक कचरा बोतलों से हो रहा है. दस फीसदी प्लास्टिक कचरा और बाकी का 90 फीसदी कचरा पर्यावरण के लिए नुकसानदेह साबित हो रहा है. विदित हो कि प्लास्टिक का निस्तारण करने में दो सौ से तीन सौ वर्ष लग जाते हैं. वो भी उस प्लास्टिक के गुण पर निर्भर करता है. इसी को देखते हुए सरकार ने पंचायत स्तर पर इस योजना को शुरू किया. इस यूनिट से ग्रामीणों को रोजगार भी मुहैया कराया जाएगा. वहीं इस प्लांट में शहर के भी प्लास्टिक वेस्ट निस्तारित हो सकते हैं.

कचरे में मिले प्लास्टिक से गट्ठे हो रहे तैयार

डोर टू डोर कचरा कलेक्शल के माध्यम से प्रतिदिन प्लास्टिक संग्रहित होती है. इसे प्रोसेस कर रिसाइकिलिंग उद्योग के लिए कच्चे माल के रूप में तैयार किया जाता है. जिले में पंडौल प्रखंड स्थित सकरी में प्लास्टिक का गट्ठा बनाने की यूनिट स्थापित कर ली गई है. अन्य चार प्रखंडों में यूनिट स्थापित किया जा रहा है. इससे प्लास्टिक का गट्ठा बनाकर प्लास्टिक उद्योग को अच्छे दर पर बेचा जा रहा है. इसके साथ ही ऐसे प्लास्टिक जिसकी रिसाइकिलिंग किया जाना संभव नहीं है. उसे हाइड्रोलिक बिलिंग मशीन से कंप्रेस कर आरडीएफ के रूप में बेच दिया जाता है.

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