मधुबनी. कठिन एवं बोझिल विषय वस्तु को सरल, रोचक एवं जीवनोपयोगी बनाना तथा वर्तमान परिप्रेक्ष्य में शिक्षा के नए मानकों के साथ पाठ्यक्रम को अद्यतन करने की आवश्यकता है. जिससे पुराने विषयों के साथ-साथ नये ज्ञान-विज्ञान, सूचना तकनीक एवं जीवन कौशल से जुड़े विषय शामिल किए जा सकें. इन्हीं उद्देश्यों को साकार करने को लेकर बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष मृत्युंजय कुमार झा ने अपने पदभार ग्रहण करने की तिथि से ही कृतसंकल्पित है. संस्कृत विद्यालयों में शैक्षिणिक व्यवस्था सुदृढ़ करने के मद्देनजर सर्वप्रथम पाठ्यक्रम एवं पाठ्य पुस्तकों की आवश्यकता पर बल दिया. अध्यक्ष ने संस्कृत विद्यालयों के प्रधानाध्यापक, सामान्य विद्यालय के संस्कृत शिक्षक, महाविद्यालय , विश्वविद्यालय के प्रसिद्ध संस्कृत प्राध्यापकों तथा आधुनिक विषयों के विषय विशेषज्ञों की एक उप समिति निर्माण कर शीघ्र कार्य सम्पादन करने को आदेशित किया है. पाठ्यक्रम उप समिति के विगत एक महीनों के अथक परिश्रम के बदौलत रविवार को देर शाम बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड को वर्ग एक से मध्यमा (दशम) तक का संशोधित एवं संवर्धित पाठ्यक्रम का प्रारूप तैयार कर सौंप दी है. अब शीघ्र ही बोर्ड अपने कोर कमिटी से इस पाठ्यक्रम को स्वीकृत कर सरकार से अनुमोदन लेने भेजेगी. उम्मीद की जा रही है यह सभी प्रक्रिया अगस्त मास में पूर्ण कर सभी विद्यालयों एवं छात्रों के बीच नूतन पाठ्यक्रम-2025 उपलब्ध हो जाएगा. पाठ्यक्रम समिति के संयोजक सह बोर्ड के सदस्य अरूण कुमार झा ने बताया कि अध्यक्ष के निर्देशानुसार विद्वान शिक्षकों एवं विषय-विशेषज्ञ प्राध्यपाकों के निरन्तर अमूल्य परिश्रम के बदौलत नूतन पाठ्यक्रम का निर्माण कार्य पूर्ण हो सका है. ऐसे पाठ्य पुस्तकों का चयन प्राथमिक कक्षाओं में किया गया है. पाठ्यक्रम समिति के सदस्य सह कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के प्राध्यापक डॉ.रामसेवक झा ने नूतन पाठ्यक्रम की महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा कि नीप-2020 के मानक को ध्यान में रखकर बहु विषयक दृष्टिकोण, कौशल आधारित शिक्षा और समग्र विकास के सिद्धांतों को पाठ्यक्रम में स्थान दिया गया है. पाठ्यक्रम निर्माण समिति के सदस्य डॉ.रामसेवक झा, पं. बाबूलाल मिश्र, दीप संस्कृत विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक डॉ.विभूतिनाथ झा, संस्कृत उच्च विद्यालय मधुबनी के प्रधानाध्यापक पं.प्रजापति ठाकुर, प्रो.श्रीपति त्रिपाठी, पं.निरंजन कुमार दीक्षित के अलावा भवनाथ झा, सुशील कुमार वर्मा एवं रूपेश कुमार की सक्रिय भूमिका रही.
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