उनके परिवार का कहना है कि वह पांच साल पहले रोज़गार की तलाश में सऊदी गया था. वहां जाकर कुछ पैसे जोड़े और गांव में मकान बनवाया. लेकिन कर्ज चुकाने और शादी की तैयारियों के लिए उसे और पैसे कमाने थे, इसलिए वह घर नहीं लौट सका. अब जब आठ महीने से वेतन बंद है और कंपनी छुट्टी तक नहीं दे रही, तो उसकी शादी भी टल गई है.
मजदूर वीडियो के जरिए सरकार से लगा रहे गुहार
शाह आलम और वहां फंसे मजदूरों ने वीडियो के ज़रिए भारत सरकार से मदद की अपील की है. उसने बताया कि न सिर्फ वेतन रोका गया है, बल्कि कंपनी अच्छा खाना भी नहीं दे रही. मजदूर चावल-दाल खाकर किसी तरह गुजर-बसर कर रहे हैं. एंबेसी से भी संपर्क किया गया, लेकिन अब तक कोई ठोस मदद नहीं मिली.
परिवार की हालत बद से बदतर
शाह के पिता इम्तेयाज आलम और मां शायदा खातून का कहना है कि उनका बेटा ही घर का एकमात्र कमाने वाला है. मां ने रोते हुए कहा, “पांच साल से बेटा विदेश में है. सोचा था ईद बाद उसकी शादी कराएंगे. लेकिन अब तो शादी भी कैंसिल हो गई. सरकार से हाथ जोड़कर मांग कर रही हूं कि मेरे बेटे को सुरक्षित वापस लाया जाए.”
दूसरे मजदूर भी संकट में
शाह आलम की ही तरह जिले के अन्य कई मजदूर भी फंसे हुए हैं. इनमें फतेहपुर के दिलीप चौहान, दहीभत्ता के शलेश कुमार, गढ़ धमापाकड़ के बैजनाथ साह, बालेपुर बथुआ के ओमप्रकाश, एकडंगा भगवानपुर के बलिंदर सिंह और राजेंद्र नगर के शैलेश चौहान आदि शामिल हैं.
श्रम विभाग ने की पुष्टि
इस पूरे मामले पर श्रम अधीक्षक सुबोध कुमार ने जानकारी दी कि सभी फंसे मजदूरों के नियोजक की पहचान कर ली गई है. विभागीय स्तर पर प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है, ताकि उन्हें जल्द से जल्द भारत वापस लाया जा सके.
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