धर्म संसद व महाकुंभ में प्रस्ताव पारित, नेपाल-भारत के संत महंत हुए शामिल
दीपक 8 व 9
उपमुख्य संवाददाता, मुजफ्फरपुर
अखंड भारत पुरोहित महासभा के संस्थापक पं हरिशंकर पाठक ने अतिथियों का स्वागत किया. महाकुंभ में निर्णय लिया गया कि देशभर में विभिन्न पंचांगों के कारण तिथियों में जो भिन्नता आती है, उसे दूर करने के लिए एकरूप पंचांग तैयार किया जायेगा. इसमें मकर संक्रांति, वसंत पंचमी, महाशिवरात्रि, होली, रामनवमी, जानकी नवमी, गंगा दशहरा, गुरु पूर्णिमा, रक्षा बंधन, जन्माष्टमी, विजयादशमी, दीपावली, छठ पर्व की एक तिथि तय की जायेगी. इसके लिए समिति गठित की गयी है. यह अगले वर्ष तक त्रिभूति सनातन धार्मिक कैलेंडर जारी करेगी.
सनातन गौरव सम्मान से नवाजा
पं विनय पाठक ने कहा कि यह पहल केवल पंचांग एकरूपता तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सनातन संस्कृति के संरक्षण, प्रचार व संत समाज के आर्थिक-सामाजिक उत्थान की दिशा में बड़ा कदम है. धर्म संसद का आयोजन अगली बार काशी हिंदू विवि व दरभंगा के कामेश्वर सिंह संस्कृत विवि में प्रस्तावित है. कार्यक्रम के दौरान भारत व नेपाल के 21 संतों, विद्वानों व सनातन धर्म प्रचारकों को सनातन गौरव सम्मान से सम्मानित किया गया.
आचार्य पुरोहित संरक्षण आयोग के गठन की मांग
महाकुंभ में आचार्यों ने कई मांगें रखी, जिसमें सर्वसम्मति से आचार्य-पुरोहितों का सर्वे कराकर 10 हजार मासिक पेंशन, बिहार सरकार द्वारा आचार्य पुरोहित संरक्षण आयोग का गठन करने, आचार्यों के बच्चों को संस्कृत विद्यालयों व कॉलेजों में वर्ग छह से आचार्य तक मुफ्त आवासीय शिक्षा देने और कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जाने वालों को सरकारी स्तर पर सहयोग राशि दिये जाने की मांग को महाकुंभ में सर्वसम्मति से पारित किया गया.
महाकुंभ में इन आचार्यों की रही उपस्थिति
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