छोटे शहरों में भी तलाक में तीन गुना वृद्धि
एडजुआ लीगल्स गूगल एनालिटिक रिपोर्ट के महानगरों के अलावा छोटे शहरों में तलाक के आवेदनों में तीन गुना वृद्धि देखी जा रही है. कंप्यूटर्स इन ह्यूमन बिहैवियर में प्रकाशित एक अध्ययन में तलाक दरों की तुलना प्रति व्यक्ति फेसबुक आउंटस की गयी, जिसमें सोशल मीडिया के उपयोग को विवाह की गुणवत्ता में बड़ा कारण माना गया है. शोध मे पाया गया कि कोई व्यक्ति अपने जितना ही अपने साथी की फेसबुक गतिविधि की जांच करता है, वह उतना ही ईर्ष्या और अविश्वास से भरता जाता है.
केस से समझें सोशल मीडिया की भूमिकासोशल मीडिया किस तरह तलाक की वजह बन रहा है, इसे मुजफ्फरपुर के कुछ केस से समझा जा सकता है. एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी से इसलिये तलाक लिया कि पत्नी उसकी परवाह नहीं करती थी. वह हर समय सोशल मीडिया में उलझी रहती थी. उसका अधिकतर समय मोबाइल पर ही बीतता था. पत्नी ने अपना सोशल मीडिया अकाउंटस भी गुप्त रखा था.पति को शक था कि पत्नी उसके साथ बेवफाई कर रही है और नौबत तलाक तक आ पहुंची. दूसरा केस भी ऐसा ही है. सोशल मीडिया युवक से जान पहचान होने के बाद युवती ने भाग कर शादी कर ली. युवक ने बताया था कि वह इंजीनियर है, लेकिन ऐसा नहीं था. विश्वास टूटने के बाद युवती ने शादी तोड़ ली और कोर्ट में तलाक की अर्जी दी
उम्र के हिसाब से तलाक के मामले
आयु तलाक (फीसदी)
18-24 – 27.6
25-34 – 35.1
35-44 – 16.2
45-54 – 10.0
55-64 – 07.0
65 से अधिक – 05.0
स्रोत : एडजुआ लीगल्स गूगल एनॉलिटिक, 2025
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वकील का क्या कहना है
तलाक के बढ़ रहे मामले पर तलाक वरिष्ठ वकीलडॉ संगीता शाही ने कहा कि इन दिनों ऐसे मामले काफी बढ़े हैं. फैमिली कोर्ट में केस दर्ज होने के बाद पति-पत्नी की काउंसलिंग की जाती है कि वह एक साथ रहने के लिए राजी हो जाये, लेकिन अधिकतर मामलों में दोनों अपनी जिद पर अड़े रहते हैं. दोनों पक्षों के तैयार नहीं होने पर तलाक का फैसला दिया जाता है. तलाक के बढ़ते मामले चिंताजनक हैं.
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रिटायर्ड जज ने क्या कहा
रिटायर्ड जज आरपी ठाकुर ने कहा कि बदलते समय में सोशल मीडिया दांपत्य जीवन में आपसी मनमुटाव का एक बड़ा कारण बन गया है. मनमुटाव से शुरू हुआ वैचारिक मतभेद तलाक तक पहुंच रहा है. दरअसल सोशल मीडिया हमें आभासी दुनिया का सैर कराता है, जिससे हम अपने व्यवहारिक जीवन से कट जाते हैं. इससे एक दूसरे के प्रति शक, ईर्ष्या, कटुता जैसी भावना उत्पन्न होती है. यह तलाक का बड़ा कारण है. मानसिक प्रदूषण को रोक कर ही हम परिवार को बिखरने से बचा सकते हैं.
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