राकेश कुमार ने बताया कि बीते दिनों लगातार लोगों को फोन कर उनके पुत्र के रेप केस में फंसने के नाम पर धमकी देकर पैसे की ठगी की शिकायतें मिल रही थीं. इसी क्रम में साइबर थाने में राकेश कुमार के साथ 75 हजार रुपये की ठगी की गयी. इसमें बदमाशों ने उनके पुत्र के रेप केस में दोस्तों के साथ फंसने का झांसा दिया. इसमें से 25 हजार रुपये ऑनलाइन और 50 हजार रुपये बैंक के माध्यम से ऑफलाइन भेजे गये थे. इसी पैसे की निकासी के क्रम में पुलिस गैंग तक पहुंच गयी.
एसएसपी ने बताया कि राकेश कुमार की ओर से दर्ज मामले में साइबर डीएसपी सह थानाध्यक्ष सीमा देवी के नेतृत्व में पुलिस की विशेष टीम को लगाया गया था. जिन अंतरराष्ट्रीय नंबर का प्रयोग कर लोगों को फोन किया जा रहा था. साथ ही जिन घोस्ट अकाउंट से पैसे की निकासी की जा रही थी. उसकी छानबीन के क्रम में पुलिस ने दरभंगा के बरमपुर निवासी अंकित कुमार मिश्रा, रतनपुर निवासी दीपक कुमार और बरहमपुर निवासी रौशन कुमार को कमतौल थाना क्षेत्र से साइबर अपराध के दौरान प्रयुक्त किये जा रहे मोबाइल के साथ गिरफ्तार किया.
इनसे जब पुलिस ने सख्ती से पूछताछ की तो मोतिहारी जिले के तुरकौलिया थाना क्षेत्र से पूरे घटनाक्रम के मास्टरमाइंड अरशद आलम पुलिस के हत्थे चढ़ा. वहीं उसके करीबी अमजद आलम भी पुलिस ने तुरकौलिया क्षेत्र से ही गिरफ्तार किया गया. इनके पास से घटना में उपयोग किये जाने वाले मोबाइल, घोस्ट अकाउंट संबंधी डेबिट कार्ड और अकाउंट ओपनिंग किट बरामद किया गया.
राकेश कुमार ने जिस खाते में राशि भेजी थी उसके तकनीकी जांच के क्रम में साहेबगंज थाना क्षेत्र के भतहंडी निवासी जितेंद्र कुमार को पुलिस ने डेबिट कार्ड, विभिन्न बैंकों के 17 खाता, मोबाइल और चेकबुक के साथ गिरफ्तार किया. इन खाता का डिटेल निकालने पर पुलिस को पता चला कि इन शातिर ठगों ने एक महीने के भीतर 103 करोड़ रुपये की ठगी लोगों से की है.
साइबर ठगी गिरोह का सॉफ्ट टारगेट महिला व बच्चियां , उनके नाम से खुलवाते थे खाता
साइबर अपराधियों के सॉफ्ट टारगेट पर महिलायें और बच्चियां होती थी. वह भी वैसी महिलाएं और बच्चियां जो कम पढ़ी लिखी हों. पुलिस की पूछताछ में पकड़े गये साइबर अपराधियों ने सनसनीखेज खुलासा किया है. साहेबगंज के भतहंडी निवासी जितेंद्र कुमार ने पुलिस को बताया कि वह कंप्यूटर कोचिंग चलाता था. इसी के आड़ में यहां आने वाली बच्चियों और महिलाओं को पैसे का लालच देकर उनकी आइडी और फोटो लेकर उनका खाता खोल देता था.
खाता खोलने के क्रम में यह अपना नंबर उसमें दर्ज करवा देता था ताकि उसकी यूपीआइ आइडी क्रिएट करके उससे ठगी के पैसे आसानी से निकाल लेता था. इसके एवज में प्रत्येक 10 हजार में से खाता धारक को महज पांच सौ से एक हजार रुपये देते थे. जितेंद्र के पास से नया खाता खोलने के आधा दर्जन बैंक के किट भी बरामद किये गये हैं.
इन शातिरों ने पुलिस को यह भी बताया कि इनका सरगना पाकिस्तान, बांग्लादेश और एक अन्य देश में बैठकर वहीं से पूरे गैंग को ऑपरेट करता है. देश के प्रत्येक क्षेत्र में गिरोह के लोग फैले हुए हैं. ये वर्चुअल नंबर का भी प्रयोग साइबर ठगी के लिए करते हैं.