गैस पाइपलाइन के लिए अधिग्रहित जमीन को नये अधिग्रहण प्रस्ताव से अलग रखा जाये
– पाइपलाइन के पास खाली जमीन उसके मेंटेनेंस के लिए आवश्यक
– एलपीजी अत्यधिक ज्वलनशील होता, इसे दुर्घटना मामले में इसे नियंत्रित करना बहुत मुश्किल है
– पाइपलाइन आरओयू के पास सार्वजनिक भवन का निर्माण नहीं किया जाना चाहिए
वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर
पत्र में बताया कि पाइपलाइन के माध्यम से कच्चे तेल और पेट्रोलियम उत्पाद को एक जगह से दूसरे जगह भेजता (परिवहन) है. एलपीजी पाइपलाइन (पीएचबीएमपीएल) की एक ऐसी बेगूसराय जिले से बरौनी रिफाइनरी से समस्तीपुर, वैशाली, मुजफ्फरपुर जिलों के माध्यम से मोतिहारी तक बिछाई गयी है. मुजफ्फरपुर और मोतिहारी एलपीजी बॉटलिंग प्लांट को एलपीजी गैस की आपूर्ति इसी भूमिगत पाइपलाइन से की जाती है. आमतौर पर सतह से 5 से 6 फीट की गहराई पर पाइपलाइन बिछाई गई है. इसके लिए 18 मीटर (60 फिट) चौड़ाई की जमीन के उपयोग का अधिकारी पीएमपी अधिनियम जो 31 अगस्त 2021 को भारत सरकार द्वारा प्रकाशित करके प्राप्त किया गया है, जिसकी प्रति संलग्न की है.
जंगल लगने से बचने के लिए इस पाइपलाइन की समय समय पर मरम्मत की जाती है. इसके लिए पाइपलाइन के ऊपर की मिट्टी को हटाया जाता, उसके ऊपर एक नई कोटिंग परत लगायी जाती है. पाइपलाइन के लिए अधिग्रहित 18 मीटर (60 फिट) पूरा क्षेत्र का उपयोग ऐसे कार्य के लिए किया जाता है. निकट भविष्य में पेट्रोलियम उत्पाद की बढ़ती मांग पूरा करने के लिए भविष्य में पाइपलाइन बिछाने के लिए जगह रखी गयी है. इसके अलावा सड़क, रेलवे, नी के नीचे जहां पाइपलाइन बिछाया जाता है उसकी मोटाई भी ज्यादा रखी जाती है ताकि अतिरिक्त भार का असर पाइपलाइन पर ना पड़े़
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