Bihar Land Mutation: दाखिल-खारिज के नियमों में बड़ा बदलाव, यहां जानिए क्या है नया नियम

Bihar Land Mutation: मुजफ्फरपुर जिले में अब जमीन के दाखिल-खारिज आवेदन को अंचलाधिकारी की तरफ से अस्वीकृत होने के बाद इसे दोबारा अंचल स्तर से स्वीकृति नहीं मिलेगी. इसके बाद राजस्व कर्मचारी जांच कर अस्वीकृति की अनुशंसा करेंगे और उसके बाद अंचलाधिकारी डीसीएलआर कोर्ट में आवेदन की सलाह देंगे.

By Rani | July 3, 2025 3:13 PM
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Bihar Land Mutation: किसी भी जमीन के दाखिल-खारिज अपील को अंचलाधिकारी स्तर से अस्वीकृत होने के बावजूद उसे पुन: अंचल स्तर से ही स्वीकृत कराने की कोशिश पर अब पूरी तरह से रोक लग जाएगी. साफ है कि अब ऐसे आवेदनों की दाखिल-खारिज की प्रक्रिया शुरू नहीं होगी. जानकारी है कि राजस्व कर्मचारी के स्तर से ही खाता-खेसरा, केवाला, खरीदार आदि की जांच कर आवेदन को अस्वीकृत करने की अनुशंसा अंचलाधिकारी से करेंगे. इसके बाद फिर अंचलाधिकारी इन आवेदनों को डीसीएलआर कोर्ट में ले जाने की सलाह देते हुए अस्वीकृत कर देंगे.

अस्वीकृत आवेदनों की गलत स्वीकृति को रोकने को पहल

जानकारी है कि राजस्व विभाग का यह कदम अस्वीकृत आवेदनों की गलत स्वीकृति को रोकने और प्रक्रिया को सुव्यवस्थित रखने के लिए है. जमीन दाखिल-खारिज के संबंध में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के सचिव जय सिंह ने सभी प्रमंडलीय आयुक्त और समाहर्ता को पत्र जारी किया है. इस पत्र में नए निर्देश के तहत दाखिल-खारिज के आवेदनों का निष्पादन करने को भी कहा गया है.

संबंधित विभाग को मिली थी शिकायत

ज्ञात हो कि विभाग ने पहले ही यह प्रविधान किया है कि अंचल अधिकारी या अन्य किसी राजस्व कोर्ट से किसी आवेदन पर एक बार जो निर्णय लिया गया, उस पर वही अधिकारी या कोर्ट के स्तर से दोबारा कोई निर्णय नहीं होगा. इसके लिए सीधे-सीधे उच्च अधिकारी या फिर उच्च कोर्ट में ही सुनवाई होगी. बता दें कि इस प्रविधान के बावजूद बड़ी संख्या में दाखिल-खारिज के अस्वीकृत आवेदनों को गलत तरीके से अंचल अधिकारी स्तर से स्वीकृत किया गया. इस तरह के मामले विभाग की समीक्षा में सामने आए हैं. जिसके बाद विभाग द्वारा इसे और फुलप्रूफ करने का फैसला लिया गया है.

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सचिव ने जारी किया निर्देश

राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के सचिव जय सिंह द्वारा जारी निर्देश में कहा गया है कि अंचल स्तर से बड़ी संख्या में दाखिल-खारिज के आवेदन अस्वीकृत किए गए हैं. समीक्षा में जानकारी मिली कि आवेदन अस्वीकृत होने से उसी खाता एवं खेसरा की जमीन का नए सिरे से दाखिल-खारिज के लिए आवेदन दिया जाता है. इन आवेदनों के वाद पर सुनवाई के लिए कर्मचारी से लेकर राजस्व अधिकारी एवं अंचलाधिकारी स्तर तक समय लगता है. सिर्फ यही नहीं यहां बड़ी संख्या में नए आवेदन भी होते हैं. इसकी वजह से अस्वीकृत आवेदनों की फिर से सुनवाई में अनावश्यक समय लग जाता है. इसी को ध्यान में रखते हुए विभाग ने इन आवेदनों को अब कर्मचारी के स्तर से ही अस्वीकृत करने की व्यवस्था दी है.

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