अस्पतालों में आने वाले मरीजों में 40 फीसदी टायफायड से पीड़ित एसकेएमसीएच और केजरीवाल में बीमारी से पीड़ित 36 बच्चे भर्ती उपमुख्य संवाददाता, मुजफ्फरपुर तेज गर्मी बच्चों के लिए सबसे अधिक स्वास्थ्य समस्या पैदा कर रही है. इन दिनों बच्चों में टायफायड कॉमन हो गया है. शहर के सरकारी और निजी अस्पतालों में इन दिनों इस बीमारी से पीड़ित बच्चों की संख्या सबसे अधिक हो रही है. अस्पतालों में जितने मरीज आ रहे हैं, उनमें 40 फीसदी इसी बीमारी से पीड़ित रहते हैं. समय पर इलाज नहीं होने से कई बच्चे सीरियस भी हो रहे हैं, जिन्हें एसकेएमसीएच और केजरीवाल अस्पताल में भर्ती कराया जा रहा है. फिलहाल दोनों अस्पतालों में 36 बच्चे भर्ती हैं. टायफाइड से पीड़ित बच्चों को तेज बुखार हो रहा है और बुखार कम करने वाली दवाओं का असर भी कम दिख रहा है. यह न केवल बच्चों के शारीरिक कष्ट को बढ़ा रहा है, बल्कि माता-पिता के लिए भी तनाव का कारण बन रहा है. शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ बीएन तिवारी ने कहा कि टायफाइड साल्मोनेला टाइफी नामक बैक्टीरिया के कारण होने वाला एक गंभीर संक्रमण है. यह बैक्टीरिया मुख्य रूप से दूषित पानी और भोजन के माध्यम से फैलता है. गर्मी के मौसम में अशुद्ध पेयजल और भोजन का सेवन बच्चों में यह बीमारी हो रही है. खुले में बिकने वाले भोजन और पेय पदार्थों के दूषित होने के कारण बच्चे इस बीमारी से अधिक पीड़ित हो रहे हैं. . खान-पान में शुद्धता से ही बीमारी से बचाव डॉक्टरों का कहना है कि इस बीमारी से बचाव के लिए रोकथाम ही सबसे प्रभावी तरीका है. अभिभावकों को बच्चों को केवल उबला हुआ या फिल्टर किया हुआ पानी ही पीने के लिये देना चाहिये. घर का बना ताजा और पौष्टिक भोजन ही उन्हें खिलाएं. बच्चों को खाना खाने से पहले और शौच के बाद साबुन और पानी से अच्छी तरह हाथ धोने की आदत डालें. घर और आसपास की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें. खासकर रसोई घर और शौचालय को हमेशा स्वच्छ रखें. दूध हमेशा उबाल कर ही बच्चों को पीने के लिये दें. अभिभावक ध्यान दें तो बच्चों को नहीं होगी बीमारी इन दिनों टायफायड से पीड़ित बच्चों की संख्या काफी बढ़ गयी है. बच्चों को यह बीमारी नहीं हो, इसके लिए अभिभावकों को ध्यान रखना होगा. बच्चों को बाहर की तली-भुनी चीजें खाने के लिये नहीं देनी चाहिये. बच्चे को उबला हुआ पानी ठंडा कर पीने के लिये दें. घर का बना भोजन ही कराएं. बच्चों की सफाई के साथ घरों को भी साफ रखें. हाथ-पैरों के नाखून नियमित अंतराल में काटें. स्वच्छता रहेगी तो यह बीमारी नहीं होगी. – डॉ राजीव कुमार, शिशु रोग विभागाध्यक्ष, केजरीवाल अस्पताल
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