
मुजफ्फरपुर: आश्रम घाट रोड स्थित रामविलास नगर में चल रहे नौ दिवसीय श्री श्री 108 श्रीराम कथा महायज्ञ के तीसरे दिन बुधवार को भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव पर बधाइयों का तांता लग गया. धर्म जागरण समन्वय उत्तर बिहार के बिहार विकास संस्कृति परिषद द्वारा आयोजित इस महायज्ञ में श्रीराम के बाल्यकाल और जन्मोत्सव प्रसंग पर श्रद्धालु और भक्तजन झूम उठे. देवकीनंदन बालकृष्ण महाराज ने सुनाया राम के बाल रूप का वर्णन कथा का शुभारंभ मुख्य यजमान के रूप में वार्ड पार्षद 15 की पार्षद गणिता देवी और उनके पति दीपू सहनी, तथा चंदेश्वर राय सपत्नी सुशीला देवी की देखरेख में आचार्यों के वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ हुआ. कथावाचक देवकीनंदन बालकृष्ण महाराज ने भगवान राम के बाल रूप का मनमोहक वर्णन किया. उन्होंने कहा कि सुबह जब वे अयोध्यापति राजा दशरथ के द्वार पर गए, तो देखा कि महाराज अपने पुत्र राम को गोद में लेकर बाहर निकले. शोक दूर करने वाले उस राजकुमार को देखकर वे मुग्ध हो गए. उन्होंने तुलसीदास के शब्दों का उद्धरण देते हुए कहा, “सुंदर खंजन पक्षी के बच्चे सी काजल लगी हुई, मन को आनंदित करने वाली आंखें ऐसी मालूम होती हैं मानो चंद्रमा में एक ही तरह के दो नए नीले कमल खिले हों. ” महाराज ने बताया कि नन्हें राम के पैरों में पैंजनी, कर-कमलों में पहुंची और गले में मनोहर मणिमाला शोभायमान थी. नवीन नीले कमल के समान शरीर पर पीली झिंगुली झलक रही थी. राजा दशरथ उन्हें गोद में लिए प्रसन्नता से रोमांचित हो रहे थे, उनकी नेत्र रूपी भौंरें राम के मुख-रूपी कमल के रूप रूपी पराग को पीकर आनंदित हो रही थीं. कथा श्रवण के लिए उमड़ रही भक्तों की भीड़ इस अवसर पर कथा संयोजक विपिन कुमार सिंह ने भी अपने विचार रखे. बिहार सांस्कृतिक विकास परिषद के सचिव कृष्ण कुमार मिश्रा ने बताया कि कथा श्रवण करने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु कथा स्थल पर पहुंच रहे हैं. इस मौके पर रामेश्वर पासवान, धर्मेंद्र पासवान, मनोज मिश्रा, दीनानाथ झा, अरविंद ठाकुर, रामायण वाचक राम उदय सहनी, बिरजू सहनी, सूरज सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु और भक्तजन उपस्थित थे.
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