मुजफ्फरपुर में 100 रुपये की रजिस्ट्री में फंसा पारिवारिक बंटवारा! भाई-भाई में बढ़ रहा विवाद, जानें क्यों नहीं मिल रही राहत

Registry: मुजफ्फरपुर में हजारों परिवार जमीन बंटवारे की कानूनी अड़चनों में फंसे हुए हैं. इसका कारण सीओ ऑफिस में लंबित शेड्यूल के आधार पर पारिवारिक बंटवारा के आवेदन को निष्पादित करने में ढिलाई है.

By Radheshyam Kushwaha | June 5, 2025 9:19 PM
feature

देवेश कुमार/ मुजफ्फरपुर. पैतृक संपत्ति के बंटवारे को सरल बनाने के लिए बिहार सरकार ने छह साल पहले 100 रुपये के मामूली शुल्क पर पारिवारिक बंटवारा रजिस्ट्री (Registry) का प्रावधान लागू किया था. इसका उद्देश्य भाई-भाई के बीच जमीन विवादों को कम करना था, लेकिन पुराने दस्तावेजों की अनुपलब्धता और अंचल कार्यालयों की ढिलाई के कारण यह कानून मुजफ्फरपुर और आसपास के जिलों में अपेक्षित सफलता नहीं पा रहा है. नतीजतन, हजारों परिवार जमीन बंटवारे की कानूनी अड़चनों में फंसे हुए हैं.

लगातार बढ़ रही लंबित आवेदनों की संख्या

सरकार ने अंचल अधिकारियों (सीओ) को पारिवारिक वंशावली के आधार पर शेड्यूल तैयार कर अलग-अलग भाइयों और बहनों के नाम जमाबंदी कायम करने का अधिकार दिया है. यह प्रक्रिया जमीन सर्वे में किसी भी प्रकार की परेशानी से बचने के लिए महत्वपूर्ण है. हालांकि, अंचल कार्यालयों की मनमानी और निष्क्रियता के कारण यह प्रक्रिया धीमी पड़ गयी है, जिससे लंबित आवेदनों की संख्या लगातार बढ़ रही है. हाल ही में तत्कालीन प्रमंडलीय आयुक्त की समीक्षा बैठक में यह मुद्दा प्रमुखता से उठा. कमिश्नर ने इसपर चिंता व्यक्त करते हुए सभी जिलाधिकारियों (डीएम) को लंबित आवेदनों को तेजी से निष्पादित करने और अलग-अलग नामों से जमाबंदी कायम करने का सख्त निर्देश दिया है, ताकि जमीन सर्वे के दौरान लोगों को किसी भी प्रकार की कठिनाई का सामना न करना पड़े.

पैतृक संपत्ति की रजिस्ट्री के नियम और अड़चनें

दादा की संपत्ति का ही होगा रजिस्टर्ड बंटवारा (पिता के जीवित रहते): पारिवारिक बंटवारे के तहत केवल दादा या पिता के नाम की खतियानी या खरीदी गई संपत्ति को ही पैतृक मानकर रजिस्ट्री का प्रावधान है. हालांकि, इसमें एक महत्वपूर्ण शर्त है:

  • यदि दादा का देहांत हो चुका है और पिता जीवित हैं, तो केवल दादा के नाम की संपत्ति ही पारिवारिक बंटवारे की श्रेणी में आयेगी.
  • पिता के जीवित रहते उनकी संपत्ति का बंटवारा यदि पुत्रों द्वारा कराया जाता है, तो उसे गिफ्ट या सेल डीड के माध्यम से ही कराना होगा, न कि पारिवारिक बंटवारे के तहत.

समझे 100 रुपये की रजिस्ट्री का नियम, नहीं मिल रही सफलता

वर्ष 2019 से लागू इस नियम के तहत पारिवारिक संपत्ति के बंटवारे की डीड की रजिस्ट्री मात्र 100 रुपये (50 रुपये का स्टांप शुल्क 50 रुपये का निबंधन शुल्क) में की जा सकती है. यह एक बेहद किफायती विकल्प है, लेकिन पिछले छह सालों में केवल 1500-2000 ही रजिस्टर्ड पारिवारिक बंटवारे हो सके हैं. इसकी मुख्य वजह प्रचार-प्रसार और जागरुकता का अभाव है. जानकारी की कमी के कारण लोग अक्सर महंगे स्टांप शुल्क देकर सामान्य केवाला (बिक्री पत्र) करा लेते हैं, जबकि वे अपनी पैतृक संपत्ति का किफायती पारिवारिक बंटवारा नहीं कर पाते. इससे न केवल वे आर्थिक नुकसान उठाते हैं, बल्कि भविष्य में जमीन विवादों की संभावना भी बनी रहती है.

Also Read: पीएम नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम को लेकर सीवान में बनेगा पांच हेलीपैड, डीएम की देखरेख में तैयारी हुई तेज

संबंधित खबर और खबरें

यहां मुजफ्फरपुर न्यूज़ (Muzzafarpur News), मुजफ्फरपुर हिंदी समाचार (Muzzafarpur News in Hindi),ताज़ा मुजफ्फरपुर समाचार (Latest Muzzafarpur Samachar),मुजफ्फरपुर पॉलिटिक्स न्यूज़ (Muzzafarpur Politics News),मुजफ्फरपुर एजुकेशन न्यूज़ (Muzzafarpur Education News),मुजफ्फरपुर मौसम न्यूज़ (Muzzafarpur Weather News)और मुजफ्फरपुर क्षेत्र की हर छोटी और बड़ी खबर पढ़े सिर्फ प्रभात खबर पर.

होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version