मुख्य संवाददाता, मुजफ्फरपुर रेलवे रक्षा मंत्रालय के बाद देश में दूसरी सबसे बड़ी भूमि मालिक है. अपनी विशाल भू-संपत्ति के दाखिल-खारिज (म्यूटेशन) में लगातार चुनौतियों का सामना कर रहा है. कई मामलों में रेलवे जमीन के आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत करने में विफल रहा है, जिससे दाखिल-खारिज की प्रक्रिया में अनावश्यक देरी हो रही है. इस समस्या के समाधान हेतु सरकारी भूमि के दाखिल-खारिज को ऑनलाइन कर दिया गया है. इस संबंध में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने रेलवे को प्रत्येक मंडल के लिए एक नोडल अधिकारी नियुक्त करने और आवश्यक दस्तावेज समय पर उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है. विभाग ने रेलवे के अधिकारियों के साथ कई दौर की बैठकें की हैं और दाखिल-खारिज की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने के लिए एक विशेष व्यवस्था बनाने का निर्णय लिया है. रेलवे ने भी इस दिशा में सक्रियता दिखाते हुए अधिग्रहित जमीनों का दाखिल-खारिज कराने और जरूरी कागजात प्राप्त करने के लिए एक नया विभागीय ईमेल आईडी और व्हाट्सएप ग्रुप बनाने का फैसला किया है. यह पहल दाखिल-खारिज की प्रक्रिया में तेजी लाने और रेलवे को आवश्यक दस्तावेज आसानी से प्राप्त करने में मदद करेगी. उम्मीद है कि इन उपायों से रेलवे की भूमि प्रबंधन क्षमता में सुधार होगा और भूमि संबंधी विवादों में कमी आएगी. राज्य में रेलवे का कार्य क्षेत्र विस्तृत है. इससे संबंधित लगभग 8 रेल मंडल कार्यालय बिहार राज्य अन्तर्गत है, जिनके अधीन विभिन्न रेल परियोजनाओं हेतु भूमि अधिग्रहण /हस्तानांतरण की कार्रवाई वृहत स्तर पर विगत लगभग 20 वर्षों में की गई है. रेलवे के प्रतिनिधियों से प्राप्त सूचनानुसार उक्त अवधि में इन महत्वपूर्ण नई रेल परियोजनाओं के लिए भूमि अर्जन/अधिग्रहण एवं भू-हस्तानांतरण की कार्रवाई हुई है नेउरा दनियांवा रेलवे लाइन इस्लामपुर-नटेसर रेलवे लाइन राजगीर तिलैया रेलवे लाइन सदिसोपुर-जटडुमरी रेलवे लाइन अररिया-गलगलिया रेलवे लाइन खगडिया-अलौली रेलवे लाइन हसनपुर-कुसेसर रेलवे लाइन दरभंगा-कुशेश्वर स्थान रेलवे लाइन हाजीपुर-सुगौली रेलवे लाइन मुजपफरपुर-सीतामढ़ी रेलवे लाइन महराजगंज-मशरक रेलवे लाइन
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