””मुर्दा”” को मिल रही पेंशन पर लगी रोक, तीन साल से हर महीने क्रेडिट हो रहा था 400 रुपये

''मुर्दा'' को मिल रही पेंशन पर लगी रोक, तीन साल से हर महीने क्रेडिट हो रहा था 400 रुपये

By Devesh Kumar | June 3, 2025 8:12 PM
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::: प्रभात खबर में प्रमुखता से छपी खबर के बाद हरकत में आया नगर निगम प्रशासन

वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर

लगभग तीन साल पहले दिवंगत हो चुकी एक बुजुर्ग महिला के बैंक खाते में लगातार क्रेडिट हो रहे 400 रुपये की वृद्धावस्था पेंशन को रोक दिया गया है. प्रभात खबर में प्रमुखता से छपी खबर के बाद हरकत में आये नगर निगम प्रशासन ने सामाजिक सुरक्षा कोषांग के ई-लाभार्थी पोर्टल पर डेथ सर्टिफिकेट के साथ बुजुर्ग महिला के पुत्र की तरफ से दिये गये आवेदन के आधार पर पेंशन राशि बैंक अकाउंट में क्रेडिट नहीं हो. इसके लिए रोक लगा दिया है. इसके बाद मृत महिला के शिकायतकर्ता पुत्र ने राहत की सांस ली है. कहना है कि मई महीने का पेंशन नहीं आया है. इससे ऐसा प्रतीत होता है कि मेरे शिकायत के बाद अखबार में छपी खबर के बाद नगर निगम कार्रवाई करते हुए पेंशन की राशि पर रोक लगा दी गयी है.

17,000 रुपये से अधिक की राशि हुई जमा, अब होगी वापसी

फरवरी 2022 में ही लाभार्थी बुजुर्ग महिला का निधन हो चुका था. महिला के पुत्र निरंजन प्रसाद गुप्ता ने बताया कि उनकी मां के बैंक अकाउंट में उन्हीं का मोबाइल नंबर दर्ज था, जिसके कारण उन्हें अप्रैल महीने तक पेंशन क्रेडिट होने के मैसेज प्राप्त होते रहे. इस तरह मृतका के खाते में कुल 17,000 रुपये से अधिक की पेंशन राशि जमा हो चुकी है. नगर निगम प्रशासन ने सामाजिक सुरक्षा कोषांग के ई-लाभार्थी पोर्टल पर मृत्यु प्रमाण पत्र और बुजुर्ग महिला के पुत्र द्वारा दिए गए आवेदन के आधार पर पेंशन राशि को बैंक खाते में क्रेडिट होने से रोक दिया है. अब इस जमा राशि को सरकार के खाते में वापस करने के लिए बैंक को प्रक्रिया शुरू करनी होगी.

पूर्व महापौर ने उठाई आवाज, सिस्टम पर सवाल

यह मामला मुजफ्फरपुर के वार्ड नंबर 04 का है, जिसे पूर्व महापौर सुरेश कुमार ने उजागर किया था. उन्होंने इस घटना को नगर निगम की “घोर लापरवाही और वित्तीय अनियमितता ” करार दिया. सुरेश कुमार ने सवाल उठाया कि जहां एक ओर जीवित व्यक्ति पेंशन के लिए तरस रहे हैं, वहीं एक मृत महिला को लगातार पेंशन मिलती रही. उन्होंने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि मृत्यु प्रमाण पत्र जमा करने के बावजूद नगर निगम का सिस्टम तीन साल तक इस गलती को क्यों नहीं पकड़ पाया. हालांकि, अख़बार में खबर छपने के बाद नगर निगम ने इस त्रुटि को सुधार लिया है.

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