वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर आस्था का महापर्व चैती छठ दरवाजे पर दस्तक दे रहा है. एक अप्रैल से नहाय-खाय के साथ चार दिवसीय अनुष्ठान शुरू होगा. लेकिन, महापर्व से ठीक 10 दिन पहले, शहर के तालाबों और बूढ़ी गंडक नदी के घाटों की हालत बद से बदतर है. पूजा स्थलों पर गंदगी का अंबार लगा हुआ है. शहर के प्रमुख तालाब, जैसे यूनिवर्सिटी तालाब, पड़ाव पोखर और आरडीएस कॉलेज तालाब, कचरे से अटे पड़े हैं. आसपास के लोग बेधड़क घरों का कचरा तालाबों में फेंक रहे हैं. कई तालाबों में पानी भी सूख गया है, जिससे व्रतियों को अर्घ्य देने में भारी परेशानी होगी. स्थानीय पार्षद व श्रद्धालुओं ने नगर निगम से तत्काल सफाई अभियान चलाने और तालाबों में पानी भरने की मांग की है. उन्होंने कहा कि अगर जल्द ही हालात नहीं सुधरे, तो उन्हें मजबूरी में गंदे घाटों पर ही पूजा करनी पड़ेगी. बूढ़ी गंडक नदी के सिकंदरपुर, अखाड़ाघाट और आश्रम घाटों की स्थिति और भी दयनीय है.अखाड़ाघाट पर शराब की सैकड़ों बोतलें बिखरी पड़ी हैं, तो आश्रम घाट पर भोजन के अवशेष और सूअरों का डेरा है. नदी के किनारे फैली गंदगी से श्रद्धालुओं में भारी आक्रोश है. हालांकि, निगम प्रशासन ने बूढ़ी गंडक नदी किनारे से गुरुवार को घाटों की सफाई प्रारंभ करा दिया है.
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