::: भू-जल स्तर गिरने से पानी के लिए मचा है हाहाकार
::: एमआईटी पंप से तीन-चार वार्डों को मिलेगी राहत, लंबे समय से ब्रह्मपुरा, लक्ष्मी चौक इलाके में है पेयजल संकट
::: पुराने बोरिंग में अतिरिक्त पाइप को जोड़ गिरते भू-जल स्तर को मेंटेन करने की कवायद
वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर
चिलचिलाती धूप और भीषण गर्मी के बीच मुजफ्फरपुर में भू-जल स्तर तेजी से गिर रहा है, जिससे शहर में पेयजल संकट गहराता जा रहा है. इस गंभीर स्थिति से निपटने के लिए मुजफ्फरपुर नगर निगम ने वैकल्पिक व्यवस्थाएं तेज कर दी हैं. निगम ने जहां नए सबमर्सिबल (मिनी पंप) लगाने के आदेश जारी किए हैं. वहीं, पहले से हुए बोरिंग को खोजकर उन्हें दोबारा चालू करने का अभियान भी शुरू कर दिया है. एमआईटी कैंपस में स्थापित 30 एचपी का बोरिंग लंबे समय से बिजली कनेक्शन के अभाव में बंद पड़ा था. नगर निगम अब उसे बिजली कनेक्शन दिलाकर जल्द से जल्द चालू कराने में जुट गया है. उम्मीद है कि एक से दो दिनों के भीतर यह पंप चालू हो जायेगा. एमआईटी पंप को मुख्य पाइपलाइन से जोड़ने पर शहर के तीन से चार वार्डों, विशेषकर ब्रह्मपुरा चौक के आसपास के इलाकों को पेयजल संकट से बड़ी राहत मिलेगी.
चतुर्भुज स्थान मंदिर व शास्त्री नगर में होगा नया बोरिंग
पेयजल आपूर्ति को और मजबूत करने के लिए नगर निगम ने दो नये मिनी बोरिंग लगाने का भी फैसला किया है. इनमें से एक बोरिंग वार्ड नंबर 41 के चतुर्भुज स्थान मंदिर के समीप होगा. जबकि, दूसरा बोरिंग वार्ड नंबर 47 के शास्त्री नगर में स्थापित किया जायेगा. इसके अतिरिक्त, निगम अपने पुराने जलापूर्ति बोरिंग में अतिरिक्त पाइप जोड़कर गिरते भू-जल स्तर को बनाए रखने का प्रयास कर रहा है. ताकि, शहर में गहरा रहे पेयजल संकट को प्रभावी ढंग से कम किया जा सके.
पानी की बर्बादी रोकने को ऑटोमेटिक स्टार्टर
शहर में पानी की बर्बादी रोकने के लिए नगर निगम ने एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया है. शहरी क्षेत्र में लगभग 200 की संख्या में मौजूद 5 एचपी के सबमर्सिबल पंपों में बारी-बारी से ऑटोमेटिक स्टार्टर लगाने की कार्रवाई शुरू कर दी गयी है. मंगलवार को इसकी शुरुआत शहर के वार्ड नंबर 02 से हुई और यह प्रक्रिया सभी वार्डों में लागू की जायेगी. इससे मोटर समय पर अपने आप चालू और बंद हो सकेगी. जिससे न केवल मानव बल की आवश्यकता कम होगी, बल्कि लगातार मोटर चलने से होने वाली खराबी और पानी की बर्बादी भी रुकेगी. यह पहल मुजफ्फरपुर के पानी बचाने के प्रयासों में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी.
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