फिटनेस जांच में काफी सहूलियत होगी
सबसे पहले विभाग द्वारा इसे अपने स्तर से खोलने की तैयारी की थी, लेकिन उसके इसे पीपीपी मोड पर खोलने के लिए आवेदन लिया गया. आवेदन लेने के बाद एजेंसी द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गयी तो विभाग फिर से जिलों में अपना सेंटर खोलने की तैयारी में है. इस स्टेशन के बनने के बाद गाड़ियों के फिटनेस जांच में काफी सहूलियत होगी और पूरा काम पारदर्शी तरीके से होगा.
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इस स्टेशन का क्या होगा फायदा
ऑटोमेटिक टेस्टिंग स्टेशन बनने के बाद गाड़ियों के फिटनेस की जांच मशीन से की जायेगी. एमवीआइ राकेश रंजन ने बताया कि सरल शब्दों में कहे तो मरीज के पूरे बॉडी की जांच जिस तरह से सिटी स्कैन से होती है, ठीक इसी प्रकार गाड़ी के फिटनेस की जांच इस सेंटर पर होगी. जिसमें गाड़ी के जाते ही उसके टायर, बॉडी के एक एक पार्ट, रंग, मजबूती सभी की पूरी तरह से जांच हो जायेगी.
एक गाड़ी के जांच में 30 से 40 मिनट का समय लगेगा. इसके बाद पुराने जर्जर गाड़ियों को फिटनेस मिलना बंद हो जायेगा. इस सेंटर की स्थापना को लेकर विभाग द्वारा नये सिरे से पहल की जा रही है. अभी वाहनों के फिटनेस जांच को लेकर गाड़ी को चलवाकर, उसके बॉडी, इंजन की आवाज, प्रदूषण का मानक आदि जांच करने के बाद जारी किया जाता है.
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