माधव – 15-16, 17-20
बिन पानी सब सून
बेला औद्योगिक क्षेत्र में पानी की किल्लत, पेयजल आपूर्ति व्यवस्था ठपउद्यमियों व कर्मियों को हो रही दिक्कत, की मांग-जलमीनार व पंप हाउस चालू करें
वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर
दोनों जलमीनार अनुपयोगी, उत्पादन क्षमता पर असर
समय के साथ यह पूरी व्यवस्था धीरे-धीरे ध्वस्त होती चली गयी. आज स्थिति यह है कि 16 किलोमीटर के पूरे औद्योगिक क्षेत्र में एक भी सार्वजनिक नलका कार्यरत नहीं है. भले ही दोनों जलमीनार अभी भी खड़े हैं, लेकिन उनके संचालन व रखरखाव की कमी के कारण वे अनुपयोगी हो गये हैं. पानी की अनुपलब्धता का सीधा असर औद्योगिक उत्पादन व श्रमिकों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है. उत्तर बिहार उद्यमी संघ के प्रतिनिधियों ने बताया कि पानी की कमी के कारण कई इकाइयों को अपनी उत्पादन क्षमता कम करनी पड़ रही है. जबकि कुछ को बाहर से पानी मंगाना पड़ रहा है जिससे उनकी लागत बढ़ रही है. संघ ने संबंधित विभागों से तत्काल हस्तक्षेप करने व इन जलमीनारों व पंप हाउस को जल्द से जल्द चालू करने की अपील की है ताकि औद्योगिक क्षेत्र को फिर से पानी की समस्या से निजात मिल सके.क्षेत्र में धूल से त्रस्त हैं उद्यमी, पानी का छिड़काव हो
औद्योगिक क्षेत्र में उड़ने वाली धूल ने जीना मुहाल कर दिया है. 16 किलोमीटर के पूरे औद्योगिक क्षेत्र में सड़कों पर कभी भी पानी का छिड़काव नहीं होता.इससे हर समय धूल का गुबार छाया रहता है. इस गंभीर समस्या से निजात पाने के लिए अब उत्तर बिहार उद्यमी संघ ने पहल की है. संघ ने इस संबंध में उद्योग विभाग के अधिकारियों से मुलाकात कर पानी के छिड़काव की मांग रखने का निर्णय लिया है. संघ ने सुझाव दिया है कि विभाग का टैंकर किसी भी औद्योगिक इकाई से पानी भर सकेगा और दिन में कम से कम तीन बार सुबह, दोपहर व शाम को बेला औद्योगिक क्षेत्र के फेज-1 और फेज-2 में सड़कों पर पानी का छिड़काव किया जाये. उद्यमियों का कहना है कि धूल के कारण न केवल स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ रही हैं, बल्कि यह मशीनों व उपकरणों के लिए भी हानिकारक साबित हो रही है. धूल से खराब विजिबिलिटी के कारण दुर्घटनाओं की भी आशंका बनी रहती है. संघ का मानना है कि नियमित रूप से पानी का छिड़काव होने से इस समस्या से काफी हद तक छुटकारा मिल सकता है.
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