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स्वस्थ जीवन के लिये नियमित करें योग, दूर होगी बीमारियां

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स्वस्थ जीवन के लिये नियमित करें योग, दूर होगी बीमारियां

आधुनिक जीवन शैली में योग से संतुलित होगा जीवन

उपमुख्य संवाददाता, मुजफ्फरपुर. आधुनिक जीवनशैली की भागदौड़ में शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखना एक बड़ी चुनौती बन गयी है. ऐसे में हजारों वर्षों से चली आ रही भारतीय परंपरा योग एक वरदान साबित हो रही है. योग केवल कुछ शारीरिक मुद्रा नहीं, बल्कि यह मन, शरीर और आत्मा को जोड़ने वाला एक विज्ञान है. इसके नियमित अभ्यास से न केवल शारीरिक बीमारियां दूर होती हैं, बल्कि मानसिक शांति और भावनात्मक स्थिरता भी प्राप्त होती है. नियमित रूप से योग करने से मनुष्य शरीर और मन से स्वस्थ रहता है. उसके चेहरे पर आभा बनी रहती है और बीमारियों से मुक्ति मिलती है. यही कारण है कि आज योग हर उम्र के लोगों के लिये जरूरी हो गया है.

योग से लाभ

शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार

मानसिक शांति और तनाव मुक्ति

श्वसन तंत्र की मजबूती

रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि

पाचन क्रिया में सुधार

वजन नियंत्रण

नींद की गुणवत्ता में सुधार

लचीलेपन में वृद्धि

संतुलन और समन्वय

इन आसनों का करें उपयोग

ताड़ासन

यह आसन शरीर की मुद्रा में सुधार करता है, रीढ़ को लंबा करता है और संतुलन को बढ़ाता है. यह लंबाई बढ़ाने में भी सहायक माना जाता है. इस आसन को करने के लिये सीधे खड़े हो जाएं, पैर एक साथ रखें. श्वास लेते हुए हाथों को ऊपर उठाएं और उंगलियों को आपस में फंसा लें. एड़ियों को ऊपर उठाते हुए पंजों पर खड़े हो जाएं. शरीर को ऊपर की ओर खींचें और सामान्य श्वास लेते रहें.

वृक्षासन

यह संतुलन और एकाग्रता में सुधार करता है, पैरों की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है. इस आसन में दाहिने पैर को मोड़कर उसके तलवे को बाईं जांघ के अंदरूनी हिस्से पर रखें. हाथों को प्रार्थना की मुद्रा में छाती के सामने जोड़ें या ऊपर उठाएं. बायें जांघ पर संतुलन बनाए रखें. दूसरी तरफ भी दोहराएं.

भुजंगासन

यह रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाता है, पीठ दर्द से राहत देता है, और पेट के अंगों की मालिश करता है. यह श्वसन तंत्र के लिए भी अच्छा है.

इस आसन में पेट के बल लेट जाएं. हथेली को कंधों के नीचे रखें. श्वास लेते हुए धीरे-धीरे छाती और सिर को ऊपर उठाएं. नाभि तक शरीर को ऊपर उठाएं. कुछ देर रुकें और श्वास छोड़ते हुए वापस आएं.

पश्चिमोत्तानासन

यह रीढ़ और कंधों में खिंचाव लाता है. यह पाचन में सुधार करता है और तनाव कम करता है. इस आसन में पैरों को सामने फैलाकर सीधे बैठ जाएं. श्वास लेते हुए हाथों को ऊपर उठाएं. श्वास छोड़ते हुए कमर से आगे की ओर झुकें और हाथों से पैर की उंगलियों को पकड़ने का प्रयास करें. सिर को घुटनों की ओर ले जाएं.

त्रिकोणासन

यह शरीर को लचीला बनाता है, पाचन क्रिया को उत्तेजित करता है, तनाव कम करता है, और पेट के आसपास की चर्बी को कम करने में मदद करता है. इस आसन में पैरों को लगभग 3-4 फीट अलग फैलाकर खड़े हो जाएं. दाहिने पैर को 90 डिग्री बाहर की ओर और बाएं पैर को थोड़ा अंदर की ओर मोड़ें. श्वांस छोड़ते हुए दाहिनी ओर झुकें और दाहिने हाथ से दाहिने पैर की उंगली को छूने का प्रयास करें. बायां हाथ ऊपर की ओर सीधा रखें. ऊपर की ओर देखें. दूसरी तरफ भी दोहराएं.

वज्रासन

यह एकमात्र आसन है जिसे भोजन के तुरंत बाद भी किया जा सकता है. यह पाचन में सुधार करता है, पैरों की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है, और रक्त संचार को बढ़ाता है. इस आसन में घुटनों के बल बैठ जाएं, कूल्हों को एड़ियों पर टिकाएं. रीढ़ सीधी रखें और हाथों को घुटनों पर रखें.

बालासन

यह मन को शांत करता है, तनाव कम करता है, और पीठ व गर्दन के दर्द से राहत देता है. यह विश्राम के लिए एक बेहतरीन आसन है.

इस आसन में वज्रासन में बैठ जाएं. श्वांस छोड़ते हुए आगे झुकें और माथे को जमीन पर रखें. हाथों को शरीर के आगे फैलाएं या पीछे रखें.

शवासन

यह शरीर और मन को पूर्ण विश्राम प्रदान करता है. यह तनाव और चिंता को कम करता है, रक्तचाप को नियंत्रित करता है और ऊर्जा को पुनर्स्थापित करता है. इस आसन में पीठ के बल सीधे लेट जाएं, पैर थोड़े अलग रखें और हाथ शरीर से दूर हथेलियां ऊपर की ओर. आंखें बंद करें और पूरे शरीर को ढीला छोड़ दें. कुछ मिनटों तक इसी मुद्रा में रहें.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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