नाग पंचमी आज, शिव मंदिरों में उमड़ी भक्तों की भीड़, जानिए नाग देवता की कहानी…

शिवालयों में जलार्पण करने वाले श्रद्धालुओं की अपार भीड़ उमड़ेगी. महिलाएं पार्वती माता को शृंगार की सामग्री अर्पित कर नाग की पूजा भी करेंगी. मंदिरों में विशेष पूजा एवं संध्याकाल में शंकर भगवान का भव्य शृंगार किया जायेगा.

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 21, 2023 9:32 AM
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मलमास की समाप्ति के बाद सावन की सातवीं एवं शुक्ल पक्ष की पहली सोमवारी नाग पंचमी के दुर्लभ संयोग में आज मनायी जायेगी. इस साेमवारी को सावन मास, शुक्ल पक्ष, सोमवार दिन, नाग पंचमी तिथि, रवियोग, चित्रा नक्षत्र बव करण एवं शुभ योग का दुर्लभ संयोग बना है. आज भगवान शिव व माता पार्वती के साथ नाग देवता की दूध, लावा एवं सिंदूर से विधिवत पूजा होगी. ऐसे सुयोग में नाग देवता की पूजा करने से जातक को कालसर्प दोष से मुक्ति मिलेगी. शिवालयों में जलार्पण करने वाले श्रद्धालुओं की अपार भीड़ उमड़ेगी. महिलाएं पार्वती माता को शृंगार की सामग्री अर्पित कर नाग की पूजा भी करेंगी. मंदिरों में विशेष पूजा एवं संध्याकाल में शंकर भगवान का भव्य शृंगार किया जायेगा.

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आचार्य राकेश झा ने कहा कि जहां सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को उत्तर भारत में नाग पूजा की जाती है. भविष्य पुराण के अनुसार सावन महीने की पंचमी नाग देवता को समर्पित है. इसीलिए इसे नागपंचमी कहा जाता है. इस दिन सर्पों के 12 स्वरूपों की पूजा की जाती है. इसमें अनंत, वासुकि, शेष, पद्मनाभ, कंबल, कर्कोटक, अश्व, धृतराष्ट्र, शंखपाल, कालीय व तक्षक प्रमुख हैं. नाग देवता को दूध और लावा चढ़ाया जायेगा. भगवान महादेव को सर्प अत्यंत प्रिय है. इसीलिए उनके प्रिय सावन मास में नाग पंचमी का पर्व श्रद्धापूर्वक मनाने से भोलेनाथ प्रसन्न हो कर मनचाहा वरदान देते हैं. नाग पंचमी का पर्व नागों के साथ जीवों के प्रति सम्मान, उनके संवर्धन एवं संरक्षण की प्रेरणा देता है. यह बल, पौरुष, ज्ञान, वृद्धि एवं तर्क शक्ति के परीक्षण का पर्व है.

ज्योतिषी झा ने गरुड़ पुराण के हवाले से बताया कि सावन के कृष्ण पक्ष एवं शुक्ल पक्ष को नाग पंचमी के दिन व्रत भी रखते हैं. व्रत करने वाले श्रद्धालु मिट्टी या आटे का सर्प बना कर उन्हें विभिन्न रंगों से सजाते हैं और सजाने के बाद फूल, खीर, दूध, लावा, धुप, दीप आदि से पूजा करते हैं. जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प दोष है, उन्हें इस दिन नाग देवता की पूजा करनी चाहिए, इस दिन पूजा करने से यह दोष समाप्त हो जाता है.

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