ग्रामीणों ने कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय की छात्राओं की सुरक्षा पर चिंता जतायी
प्रतिनिधि अकबरपुर
आजादी के पहले 1924 में स्थापित और 1927 से संचालित अकबरपुर का ऐतिहासिक मध्य विद्यालय इन दिनों सरकार द्वारा पास के पीएम श्री उच्च विद्यालय में मर्ज किये जाने की प्रक्रिया को लेकर विवादों में घिर गया है. इस फैसले से स्थानीय ग्रामीणों में आक्रोश है. उनका कहना है मध्य विद्यालय को प्रमोशन देते हुए उच्च विद्यालय का दर्जा दिया जा रहा है और यहां आघोषित प्राइमरी विद्यालय में तब्दील किया जा रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि यह विद्यालय न सिर्फ शिक्षा का केंद्र रहा है, बल्कि गांव की पहचान भी है. उसे प्राइमरी स्कूल में तब्दील करना इतिहास के साथ अन्याय है.
छात्राओं की सुरक्षा पर जताई गयी चिंता
छात्रा अंशु कुमारी ने कहा, रास्ते में लोग छेड़छाड़ करने की आशंका हैं, कोई सुरक्षा नहीं है. संगीता और लाली ने भी कहा कि हमें नजदीक स्कूल में पढ़ाई की सुविधा मिलनी चाहिए, ताकि सुरक्षित महसूस कर सकें.
जनप्रतिनिधि ने जताई नाराजगी
इस मामले पर स्थानीय वार्ड सदस्य धनजीत कुमार ने भी सरकार के निर्णय पर आपत्ति जतायी है. उन्होंने कहा, यह विद्यालय हमारे क्षेत्र की शान है. इसे मर्ज करना तर्कसंगत नहीं है. यदि सरकार ने फैसला वापस नहीं लिया तो हम आंदोलन को बाध्य होंगे. साथ ही कस्तूरबा की छात्राओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी कौन लेगा?.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है