रजौली. प्रखंड क्षेत्र में इन दिनों बाजारों में धड़ल्ले से ऐसे आम बेचे जा रहे हैं, जिन्हें खतरनाक रसायन ‘इथाइलीन रिपेनर’ की मदद से कृत्रिम रूप से पकाया जा रहा है. बंगाल, उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों से लाये गये कच्चे आमों को स्थानीय बाजार में सस्ते दर पर खपाया जा रहा है. इन आमों की चमक और कीमत आकर्षक जरूर है, लेकिन इनके सेवन से पेट की बीमारी, फूड प्वाइजनिंग और अन्य शारीरिक विकार बढ़ने का खतरा है. कैसे होता है यह जहरीला गोरखधंधा स्थानीय सूत्रों के अनुसार, व्यापारी कच्चे आमों को प्लास्टिक के कैरेट में भरते हैं और उनमें ‘इथाइलीन रिपेनर’ केमिकल का छिड़काव कर ऊपर से रद्दी कागज डालकर उन्हें ढंक देते हैं. कुछ ही घंटों में आम पीले दिखने लगते हैं और एक दिन के भीतर वे पूरी तरह पक जाते हैं. इसके बाद इन आमों को बिना किसी रोकटोक के स्थानीय बाजारों, हाट-बाजारों और फुटपाथों पर खुलेआम बेचा जा रहा है. ग्रामीणों की बढ़ती चिंता, बीमार हो रहे हैं लोग ग्रामीण अनिल कुमार, अजय कुमार और देवा राजवंशी जैसे दर्जनों लोगों ने अपनी चिंता व्यक्त करते हुए बताया कि बिहार में आम का असली सीजन आषाढ़ तक ही सीमित रहता है. इसके बाद जो भी आम बाजार में मिलते हैं, वे दूसरे राज्यों से लाये गये और केमिकल से पकाये गये होते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि अधिक बारिश के कारण स्थानीय आमों की गुणवत्ता प्रभावित होती है, लेकिन मुनाफाखोर व्यापारी कच्चे आमों को केमिकल से जबरन पकाकर जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. इससे कई लोग पेट दर्द, उल्टी-दस्त, गैस, एलर्जी और अन्य आंतरिक समस्याओं से जूझ रहे हैं. क्या कहते हैं जिम्मेदारजब इस मामले को लेकर रजौली के प्रखंड विकास पदाधिकारी संजीव मिश्रा से संपर्क किया गया तो उन्होंने स्पष्ट कहा कि यह विषय ‘फूड एंड सेफ्टी’ विभाग के अंतर्गत आता है, जिसकी जांच जिला स्तर पर की जाती है. अनुमंडलीय अस्पताल के प्रभारी डॉ दिलीप कुमार ने भी यही बात दोहराई और कहा कि फूड एंड सेफ्टी विभाग, स्वास्थ्य विभाग के अधीन एक स्वतंत्र इकाई है और इसकी जिम्मेदारी सिविल सर्जन कार्यालय की है. तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता स्थानीय जनप्रतिनिधियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने प्रशासन से मांग की है कि बाजार में बिक रहे आमों की गुणवत्ता की जांच कर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाये. साथ ही, आम जनता को जागरूक किया जाए कि रासायनिक रूप से पकाये गये फलों का सेवन स्वास्थ्य के लिए घातक है.
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