यह केवल औपचारिकता ही होगी
10 फरवरी को सबसे पहले विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जाएगा. उन्हें पद से हटाने के बाद नीतीश सरकार सदन में विश्वास मत प्राप्त करेगी. हालांकि यह केवल औपचारिकता ही होगी. क्योंकि, सदन में नीतीश कुमार को पूर्ण बहुमत प्राप्त है. उनके पास 128 विधायकों का समर्थन है. यह बहुमत के 123 के आंकड़े से अधिक है. नयी सरकार को जदयू और भाजपा के अलावा हम और एक निर्दलीय विधायक का भी समर्थन प्राप्त है. जहां भाजपा के 78 और जदयूके 45 विधायक हैं, वहीं हम के चार विधायक है.
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चौथी बार होगा अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान
17वें विधानसभा में यह दूसरा अवसर है, जब विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आया है. यह भी पहली बार है जब किसी एक विधानसभा की अवधि में दो बार ऐसा हुआ हो. इसके पहले वर्ष 2022 में निवर्तमान विधानसभा अध्यक्ष व मौजूदा उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आया था. ऐसे यह चौथा अवसर है जब किसी विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया है. इसके पहले कांग्रेस के शिवचन्द्र झा और विन्ध्येश्वरी प्रसाद वर्मा के खिलाफ भी अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था.
विधानमंडल को लेकर सारे फैसले निरस्त
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इस्तीफा देते ही विधानमंडल के बजट सत्र समेत अन्य फैसले स्वत: निरस्त हो गए. यही नहीं सत्र में पूछे जानेवाले सारे सवाल भी खत्म हो गए. अब नए सिरे से सदन में पूछे जाने के लिए विधायकों-विधान पार्षदों को सवाल देने होंगे
दिनभर काम निपटाते रहे चौधरी
विधानसभा अध्यक्ष अवध विहारी चौधरी सामान्य दिन की तरह विधानसभा आए और रूटिन काम निपटाते रहे. कुछ समय के लिए उनके कक्ष के बाहर लाल बत्ती भी जली, जब उन्होंने आवश्यक कार्य निपटाया. हालांकि, उन्होंने कुछ कानूनविदों से भी बातचीत की और उनसे राय-मशविरा किया. उधर, विधानसभा उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी भी पहले तल्ले पर अपने कमरे में मौजूद थे. वे भी अपना सामान्य कार्य करते रहे.