बिहार विकास के मापदंडों में राष्ट्रीय औसत से काफी नीचे
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस बैठक में कहा है कि हम वर्ष 2010 से ही बिहार के लिए विशेष राज्य का दर्जा की मांग कर रहे हैं. बिहार बहुत ही ऐतिहासिक राज्य है, लगातार विकास के बाद भी बिहार विकास के मापदंडों में राष्ट्रीय औसत से काफी नीचे है. बिहार, विशेष राज्य के दर्जे की सभी शर्तों को पूरा करता है. अब तो जाति आधारित गणना में गरीबी एवं पिछड़ेपन के आंकड़े भी इसका समर्थन करते हैं. हम उम्मीद करते हैं कि बिहार को विशेष राज्य के दर्जा देने के बारे में आप जरूर सोचेंगे.
केंद्र सरकार कराये जाति आधारित जनगणना
बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि हम चाहते थे कि केंद्र सरकार जातीय आधार पर जनगणना कराये. इसके लिए हमलोग शुरू से ही प्रयासरत थे. इसके लिए वर्ष 2019 एवं 2020 में बिहार विधानमंडल में सर्वसम्मति से जाति आधारित जनगणना के लिए प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को भेजा. फिर हम सभी दलों के प्रतिनिधियों के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले. केंद्र सरकार द्वारा इस पर कोई विचार नहीं किया गया. राज्य सरकार ने अपने संसाधनों से जाति आधारित गणना करा ली है और इसके आंकड़ों को जारी किया गया.
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बिहार की आबादी 13 करोड़ सात लाख 25 हजार 310
जाति आधारित गणना के बारे में मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके अनुसार बिहार की कुल आबादी 13 करोड़ सात लाख 25 हजार 310 है. इसमें 53 लाख 72 हजार 22 लोग बिहार के बाहर रह रहे हैं. 12 करोड़ 53 लाख 53 हजार राज्य में रह रहे हैं. जाति आधारित गणना में पिछड़ा वर्ग-27.12 प्रतिशत, अत्यंत पिछड़ा-36.01 प्रतिशत, अनुसूचित जाति-19.65 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति-1.68 प्रतिशत, सामान्य वर्ग -15.52 प्रतिशत की आबादी पायी गयी है. इन आंकड़ों के आधार पर भाजपा सहित सभी पार्टियों की सहमति से समाज के सभी कमजोर वर्गों के सामाजिक उत्थान के लिए आरक्षण में इनकी भागीदारी बढ़ाने का निर्णय लिया गया.
बढ़ी आरक्षण की सीमा
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में आरक्षण की सीमा 50 से बढ़ाकर 65 प्रतिशत कर दिया गया है. इसके लिए कानून पारित हो गया है. सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए पूर्व से ही 10 प्रतिशत आरक्षण उपलब्ध है. सभी को मिलाकर कुल आरक्षण 75 प्रतिशत हो गया है.
आरक्षण के नये कानून को 9वीं अनुसूची में शामिल करने का अनुरोध
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार ने केंद्र सरकार से आरक्षण के नये कानून को संविधान की 9वीं अनुसूची में डालने के लिए अनुरोध किया है. आशा है केंद्र सरकार इसे शीघ्र ही संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल करेगी. जाति आधारित गणना में लोगों की आर्थिक स्थिति की जानकारी ली गयी है. सभी जातियों में गरीब परिवार मिले हैं, जिनमें 25.09 प्रतिशत सामान्य वर्ग, 33.16 प्रतिशत पिछड़ा वर्ग, 33.58 प्रतिशत अति पिछड़ा वर्ग, 42.93 प्रतिशत अनुसूचित जाति और 42.70 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोग गरीब हैं. सभी वर्गों में गरीब परिवारों की कुल संख्या 94 लाख है.
ये रहे मौजूद
बैठक में बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव, वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी और जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा, पश्चिम बंगाल की मंत्री चन्द्रमा भट्टाचार्य, उड़ीसा के मंत्री प्रदीप कुमार आम्त, उड़ीसा के मंत्री तुषार कान्ति बेहरा, झारखंड के मंत्री रामेश्वर उरांव, झारखंड के मंत्री चम्पई सोरेन, केंद्र सरकार के सचिव, चारों राज्यों के मुख्य सचिव, बिहार के पुलिस महानिदेशक, पूर्वी क्षेत्रीय परिषद् की सचिव और केंद्र सरकार एवं राज्य सरकारों के वरीय अधिकारी उपस्थित थे.