बिहार को मिलेंगे 22 हजार नए ‘युवा आपदा मित्र’, बाढ़‑सुखाड़ हो या भूकंप हर संकट में बनेंगे मददगार

Bihar News: बिहार अब आपदाओं से निपटने के लिए युवाशक्ति से लैस होगा. राज्य में 22 हज़ार नए ‘आपदा मित्र’ तैयार किए जा रहे हैं, जो बाढ़‑भूकंप से लेकर अगलगी तक राहत‑बचाव में प्रशासन की फ़्रंट‑लाइन बनेंगे.

By Abhinandan Pandey | May 19, 2025 9:37 AM
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Bihar News: बाढ़, भूकंप से लेकर वज्रपात तक, बिहार पर कुदरत की मार अक्सर भारी पड़ती है. अब राज्य सरकार आपदा प्रबंधन की ढाल मजबूत करने के लिए 22 हज़ार अतिरिक्त ‘युवा आपदा मित्र’ तैयार करने जा रही है. बिहार आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (BSDMA) ने इस महत्वाकांक्षी कार्यक्रम की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिसके पूरा होते ही प्रदेश में प्रशिक्षित स्वयंसेवकों की कुल तादाद 9,500 से बढ़कर 32,000 पार पहुंच जाएगी. इन स्थानीय युवाओं को संकट की घड़ी में जिला प्रशासन की फ्रंट‑लाइन इकाई की तरह तैनात किया जाएगा, ताकि राहत‑बचाव कार्य चंद मिनटों में शुरू हो सके.

कैसे चुने जाएंगे नए वॉलंटियर

प्राधिकरण ने चयन के लिए NCC, NSS, नेहरू युवा केंद्र तथा भारत स्काउट एवं गाइड सहित विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों से हाथ मिलाया है. प्रत्येक संस्था से जुड़े कैडेट और वालंटियर को चरणबद्ध तरीके से पांच दिवसीय बेसिक ट्रेनिंग दी जाएगी. जिसमें-

  • जल‑प्रलय प्रबंधन: तेज धार में सुरक्षित रेस्क्यू, बोट संचालन, लाइफ जैकेट व रोप‑थ्रो तकनीक
  • भूकंप‑बचाव: ढहे हुए ढांचों से निकासी, प्राथमिक चिकित्सा, दमकल समन्वय
  • अगलगी एवं वज्रपात: फायर सेफ्टी ड्रिल, बिजली गिरने पर तात्कालिक जवाबी कदम
  • संपर्क व संचार: HAM रेडियो, व्हाट्सऐप कम्युनिटी और सैटेलाइट फोन उपयोग

ट्रेनिंग के बाद सभी ‘आपदा मित्रों’ को तीन‑साल का समूह बीमा कवर मिलेगा. हादसे में सेवा के दौरान यदि नुकसान होता है तो  रु. 1 लाख तक का मुआवज़ा तय किया गया है.

भत्ते की व्यवस्था

आपदा मित्रों की तैनाती जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (DDMA) के अधीन रहेगी. सक्रिय ड्यूटी पर बुलाए जाने पर इन्हें ₹450–₹750 प्रतिदिन के बीच भत्ता दिया जाएगा, जिसकी राशि राज्य आपदा मोचक निधि (SDRF) से निकलेगी.

सेंसिटिव जोन में होगी प्राथमिक तैनाती

राज्य के 29 जिले बाढ़ संवेदनशील और 15 अति‑संवेदनशील सूची में हैं. वहीं, बिहार का 15.2 % भू‑भाग भूकंप के ज़ोन‑5 देश के सर्वाधिक खतरनाक क्षेत्र में आता है. BSDMA की योजना है कि नए आपदा मित्र इन्हीं हाई‑रिस्क गांवों और शहरी बस्तियों से लिए जाएं, ताकि संकट पड़ते ही “पहली प्रतिक्रिया” स्थानीय हाथों से संभव हो सके. दक्षिण बिहार के सूखा‑ग्रस्त ज़िलों में भी वॉलंटियर्स को जल संरक्षण और फसल बीमा जागरूकता अभियानों में लगाया जाएगा.

राहत की नई उम्मीद

साल दर साल बढ़ती प्राकृतिक आपदाओं ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सामुदायिक भागीदारी के बिना कोई योजना टिकाऊ नहीं. 22 हज़ार नए आपदा मित्रों के जुड़ने से बिहार न सिर्फ़ अधिक जोखिम‑सहिष्णु बनेगा, बल्कि आपदा को अवसर में बदलते हुए युवाओं को सेवा, लीडरशिप और रोजगार भत्ते की त्रिफला भी देगा.

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