सोन नदी जल बंटवारे पर बनी सहमति, बिहार को मिलेगा झारखंड से तीन गुना ज्यादा पानी

Eastern Zonal Council Meeting: बिहार और झारखंड के बीच सोन नदी के जल बंटवारे को लेकर दो दशक से चल रहा विवाद आखिरकार खत्म हो गया है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में रांची में हुई पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक में दोनों राज्यों ने जल वितरण पर सहमति जताई. अब बिहार को 5.75 और झारखंड को 2.00 मिलियन एकड़ फीट पानी मिलेगा.

By Abhinandan Pandey | July 11, 2025 8:23 AM
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Eastern Zonal Council Meeting: बिहार और झारखंड के बीच सोन नदी के जल बंटवारे को लेकर दो दशकों से चला आ रहा विवाद आखिरकार सुलझ गया है. गुरुवार को रांची में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में हुई पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक में दोनों राज्यों के बीच जल बंटवारे को लेकर सहमति बन गई. ऐतिहासिक इस फैसले के तहत अब बिहार को 5.75 मिलियन एकड़ फीट (एमएएफ) और झारखंड को 2.00 एमएएफ पानी मिलेगा.

यह समझौता ऐसे समय में हुआ है जब वर्षों से दोनों राज्य पानी के अधिकार को लेकर अपने-अपने तर्कों के साथ अड़े हुए थे. बिहार जहां 1973 के बाणसागर समझौते का हवाला देते हुए पूरी 7.75 एमएएफ पानी पर दावा कर रहा था, वहीं झारखंड राज्य बनने के बाद से उसमें अपना उचित हिस्सा मांग रहा था.

बैठक में कौन रहा मौजूद?

रांची में हुई इस महत्वपूर्ण बैठक में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी शामिल हुए. केंद्र सरकार की पहल और अमित शाह की मध्यस्थता में पहली बार इस विवाद का समाधान निकल सका, जिससे दोनों राज्यों ने आपसी सहमति जताई.

क्या था विवाद?

साल 1973 में मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार के बीच बाणसागर परियोजना के तहत सोन नदी के जल बंटवारे पर सहमति बनी थी. तब बिहार को 7.75 एमएएफ पानी तय हुआ था. लेकिन वर्ष 2000 में जब झारखंड अलग राज्य बना, तब से झारखंड ने इस पानी में अपनी हिस्सेदारी की मांग शुरू की. बिहार अपने पुराने अधिकार पर अड़ा रहा. इस मुद्दे को लेकर कई वर्षों से विवाद जारी था और केंद्रीय स्तर पर कई दौर की बैठकें बेनतीजा रहीं.

सोन नदी की क्या है अहमियत?

सोन नदी दक्षिण बिहार की जल जीवन रेखा मानी जाती है. इसका उद्गम मध्य प्रदेश के अमरकंटक की पहाड़ियों से होता है और यह यूपी व झारखंड होते हुए बिहार में प्रवेश करती है. बिहार के मनेर में यह गंगा से मिल जाती है. इस नदी के पानी से दक्षिण बिहार के बड़े हिस्से में सिंचाई होती है, जो किसानों के लिए बेहद जरूरी है.

अब आगे क्या?

जल बंटवारे को लेकर बनी सहमति से उम्मीद जताई जा रही है कि अब दोनों राज्यों में जल प्रबंधन और सिंचाई योजनाएं अधिक सुव्यवस्थित होंगी. झारखंड को जहां लंबे इंतजार के बाद उसका जल अधिकार मिला है, वहीं बिहार को भी अपनी कृषि जरूरतों के अनुरूप पानी मिलना तय हो गया है.

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