समय रहते हो सकेगा बचाव
इस वार्निंग सिस्टम द्वारा उपलब्ध कराये गए आंकड़ों के आधार पर न सिर्फ बाढ़ से बचाव के इंतजाम, बल्कि लोगों को सुरक्षित स्थान पर भेजने की कार्रवाई भी समय रहते की जा सकेगी. इससे बाढ़ के दौरान जान-माल की हानि को कम किया जा सकेगा. आईआईटी रुड़की का यह शोध न सिर्फ तकनीकी तौर पर अत्याधुनिक है, बल्कि बिहार जैसे आपदाग्रस्त राज्य के लिए सामाजिक, आर्थिक और प्रशासनिक दृष्टिकोण से अत्यंत लाभकारी भी है. इस शोध का वास्तविक असर उन लाखों लोगों पर होगा जो हर साल बाद से प्रभावित होते हैं.
पहले ही कर देगा अलर्ट
वहीं, एआई मॉडल की बात करें तो, इसको इस तरह विकसित किया गया है कि यह बाढ़ के पहले सटीक अलर्ट जारी कर सकता है. इससे प्रशासन को समय रहते राहत बचाव टीमों को सक्रिय करने, संवेदनशील क्षेत्रों से लोगों को सुरक्षित निकालने और आपातकालीन संसाधन पहले से तैनात करने में बड़ी मदद मिलेगी.
सरकार को मिलेगी खास मदद
एआई की ओर से बनाये गये बाढ़ संभाव्यता मानचित्र की मदद से सरकार और स्थानीय निकाय अब यह तय कर पायेंगे कि कहां सड़कों, पुलों और आश्रयगृहों को मजबूत किया जाए या नये भवन कहां न बनें. इसके साथ ही बाढ़ के समय भूमि उपयोग नियमन के लिए भी यह डेटा महत्वपूर्ण आधार बनेगा.
रिसर्च की यह भी है खासियत…
इस रिसर्च की एक और खासियत यह बताई जा रही है, एक्सप्लेनेबल एआई . यह तकनीक यह भी बताती है कि किसी क्षेत्र को बाढ़ संभावित क्यों माना गया है, जिससे नीति-निर्माताओं को भरोसे के साथ निर्णय लेने में सुविधा होती है. इससे नीतिगत पारदर्शिता और जनता का विश्वास दोनों मजबूत होते हैं.
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