युवा बन रहे हैं थिंक टैंक
तेजस्वी यादव की कोर टीम में शामिल ये युवा तुलनात्मक रूप में सोशल मीडिया और पार्टी के मूल एजेंडा जातीय समीकरण सांचे में काफी हद तक फिट भी हैं. बेशक राजद के ”थिंक टैंक” में अब अपेक्षाकृत युवा नेताओं का बोलबाला देखने को मिलेगा. महागठबंधन के लिए गठित समिति में राजद के टीम में इसे देखा जा सकता है. यह वह टीम है, जो सीट साझेदारी जैसे अहम काम में प्रभावी भूमिका निभायेगी. रणनीतिकारों की टीम में लालू प्रसाद को छोड़कर अन्य समाजवादी योद्धाओं की स्थिति भी अब किसी से छुपी नहीं रह गयी है.
तेजस्वी को बुजुर्गों का सियासी आशीर्वाद जरूरी
बेशक राजद ने धरातल पर सबसे ज्यादा युवाओं पर ही भरोसा जताया है. इसका नेतृत्व सिर्फ तेजस्वी करने जा रहे हैं. हां, मंचों पर समाजवादी योद्धा पहली कतार में दिखाइ्र देंगे. दरअसल राजद सुप्रीमो जानते हैं कि उनके बेटे तेजस्वी की किसी भी बड़े पद पर ताजपोशी के लिए आरजेडी के बुजुर्गों का सियासी आशीर्वाद जरूरी है. दूसरे , लालू प्रसाद विभिन्न वर्गों के बुजुर्गों के जरिये ”ए टू जेड” की पार्टी हाेने का सियासी मायाजाल अभी बनाये रखना चाहते हैं. फिलहाल आज की राजद में लालू प्रसाद एक समाजवादी आंदोलन का प्रतिनिधित्व करते है, जिसे सड़क पर उतरकर सियासी विरोधियों को चुनौती देना पसंद है. दूसरी पीढ़ी तेजस्वी की है, जिसे सड़क से ज्यादा लड़ाई सोशल मीडिया पर लड़ना पसंद है. वह वाक युद्ध चाहते हैं. ऐसे में रणनीति यह है कि पार्टी का मुखिया अभी बुजुर्ग ही रहे और उसके सभी सेनापति युवा हों.
तेजस्वी की कोर टीम में धुरंधर युवा
इस बार प्रदेश और राष्ट्रीय कार्यकारिणी में इसका असर दिखाई देगा. इस टीम में तेजस्वी की कोर टीम के धुरंधर युवा नेता जैसे आलोक मेहता,कामरान, संजय यादव, रणविजय साहू, सर्वजीत कुमार और शिवचंद्र राम शामिल होंगे. इस टीम में लालू प्रसाद की पीढ़ी के लोग भी होंगे. इसमें शिवानंद तिवारी,जगदानंद सिंह, उदय नारायण चौधरी, अब्दुल बारी सिद्धीकी, रामचंद्र पूर्वे आदि शामिल होंगे. दरअसल आरजेडी सुप्रीमो समझते हैं कि बुजुर्ग नेताओं की यह टीम अभी भी भी वैचारिक लड़ाई में मददगार साबित होंगे. इनके आवाज बिहार के जनमानस को अभी भी भाती है. इसलिए राजद के हर मंच की अग्रिम पंक्ति में यह टीम दिखाई दे जाती है.
बुजुर्ग नेताओं को साधना दल की सियासी मजबूरी
राजद में पार्टी की कमान आहिस्ता-आहिस्ता ही सही युवाओं की तरफ जार रही है. संगठन के शीर्ष पदों पर अभी भी बुजुर्ग नेताओं काबिज रखा गया है. चाहे प्रदेश अध्यक्ष की कमान मंगनीलाल मंडल को देना हो या राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर खुद लालू प्रसाद का बने रहना हो. पार्टी का मानना है कि एक साथ युवा टीम को पूरी जिम्मेदारी देने का मतलब इस निर्णायक चुनाव में सियासी विरोध को आमंत्रण देना है.
भागदारी अति पिछड़ों को मिलना तय
राजद के संगठन में इस बार अति पिछड़ा को अधिक से अधिक पद दिया जाना तय है. दरअसल ऐसा 2025 के चुनाव की वजह से है. पार्टी का आकलन है कि पार्टी पिछले कुछ चुनाव से सरकार बनाने से इसलिए वंचित रह जा रही है, कि उसे अति पिछड़ों का समुचित वोट नहीं मिल रहा है. बता दें कि राजद में तीन साल पहले से पार्टी में आरक्षण प्रभावी किया गया है.
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