इनमें डीएम, एसडीएम, डिप्टी कलेक्टर, ज्वाइंट कलेक्टर, तहसीलदार, बीडीओ, रेंज आइजी, डीआइजी, कमांडेंट, राज्य पुलिस फोर्स, एसएसपी, एसपी, एएसपी, डीएसपी, एसएचओ, इंस्पेक्टर, सब इंस्पेक्टर, सार्जेंट मेजर या उसके समकक्ष के पदाधिकारी शामिल हैं. आयोग ने यह भी कहा कि जिन लोगों के रिटायरमेंट में छह महीने रह गये हैं, उन्हें चुनावी डयूटी नहीं दी जायेगी.
आयोग ने कहा है कि बिहार विधानसभा का कार्यकाल 29 नवंबर को पूरा हो रहा है. ऐसे में राज्य में विधानसभा चुनाव को स्वतंत्र और निष्पक्ष कराने के लिए किसी भी पदाधिकारी को उसके गृह जिले में पदस्थापित नहीं किया जाये. ऐसे पदाधिकारियों को न तो डीइओ, एडीइओ, आरओ और न ही इआरओ बनाया जाये. अगर वे एक ही जगह पर लंबे समय से पदस्थापित हैं तो उनका भी तबादला किया जाये.
वैसे पदाधिकारी, जिनके एक ही स्थान पर पदस्थापन के तीन साल पूरे हो गये हैं या वैसे पदाधिकारी जो चार साल की सेवा होने जा रही हैं, उनका तबादला 31 अक्तूबर तक कर दिया जाये. आयोग ने मुख्य सचिव को यह भी निर्देश दिया है कि वैसे पदाधिकारी, जिनके खिलाफ चुनाव आयोग द्वारा पूर्व में अनुशासनात्मक कार्रवाई लंबित है या जिन पर दंड लंबित है या जिन पदाधिकारियों पर चुनावी कार्यों में लापरवाही का आरोप है, उनको किसी भी हाल में चुनावी कार्य में नहीं लगाया जायेगा. आयोग ने कहा है कि मुख्य सचिव को जो भी निर्देश दिया गया है, उसका सख्ती से पालन करते हुए की गयी कार्रवाई से आयोग को अवगत कराया जाये.
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