पटना के गांधी मैदान में हुंकार भरेंगे प्रशांत किशोर, 11 अप्रैल को करेंगे ‘बिहार बदलाव रैली’

Bihar Badlaav Rally: यह रैली उन लोगों के लिए एक मंच बनेगी, जो मानते हैं कि बिहार को एक नई दिशा की जरूरत है, एक ऐसी व्यवस्था जो राज्य को दूसरे विकसित राज्यों के समान आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर सके.

By Ashish Jha | April 6, 2025 7:36 AM
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Bihar Badlaav Rally: पटना. विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटे जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार में बदलाव की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए 11 अप्रैल को गांधी मैदान में जन सुराज की “बिहार बदलाव रैली” आयोजित होगी, जिसमें राज्य भर से लोग एकजुट होंगे. यह रैली उन लोगों के लिए एक मंच बनेगी, जो मानते हैं कि बिहार को एक नई दिशा की जरूरत है, एक ऐसी व्यवस्था जो राज्य को दूसरे विकसित राज्यों के समान आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर सके. उन्होंने कहा कि इस रैली के लिए दोपहर तीन बजे गांधी मैदान में इकट्ठा होने वाले लोग बिहार में एक नई राजनीति की शुरुआत के लिए तैयार हैं, जो बिहार की बेहतरी की दिशा में काम करेगी.

बिहार में बदलाव की सख्त आवश्यकता

उन्होंने कहा कि बिहार में बदलाव की सख्त आवश्यकता है. यह बदलाव अब सिर्फ राजनीतिक शब्दों तक सीमित नहीं रह सकता, बल्कि भ्रष्टाचार को खत्म करना, पलायन को रोकना, और बच्चों के लिए शिक्षा की व्यवस्था को बेहतर बनाना वक्त की जरूरत है. बिहार में तीन दशकों से सत्ता में रही लालू, नीतीश और बीजेपी की गठबंधन सरकारों से बदलाव की मांग जनता के बीच जोर पकड़ रही है. जन सुराज संस्थापक ने कहा कि बिहार में अगले छह महीने में चुनाव होने वाले हैं, और इस दौरान जनता अपना फैसला लेगी. बीजेपी के नेताओं की विचारधारा तो स्पष्ट है, उन्हें जो करना है वे कर रहे हैं. लेकिन, बिहार की जनता ने देखा है कि कैसे नीतीश कुमार और उनकी सरकार ने मुस्लिम समुदाय के साथ धोखा किया है.

मेरा विरोध धर्म या समुदाय के खिलाफ नहीं

इससे पहले लालू यादव की भूमिका पर भी प्रशांत किशोर ने सवाल उठाए और कहा कि बिहार की जनता ने अब तक लालू परिवार के धोखेबाज रवैये को भी पहचान लिया है. उन्होंने कहा कि उनका वक्फ को लेकर विरोध किसी धर्म या समुदाय के खिलाफ नहीं, बल्कि उस राजनीतिक प्रक्रिया के खिलाफ है, जो समाज के विभिन्न वर्गों के साथ किए गए वादों और आश्वासनों के विरुद्ध है. प्रशांत किशोर ने कहा कि देश के निर्माण के वक्त जो वादा शीर्ष नेताओं ने समाज के हर वर्ग से किया था, उसे तोड़ने की बजाय मजबूत किया जाना चाहिए था. यदि वक्फ जैसी योजनाओं में बदलाव की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं, तो समाज के प्रभावित वर्गों से संवाद करना और उन्हें विश्वास में लेना चाहिए, जो कि इस समय नहीं हो रहा है.

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