भूमिहीन परिवारों को मिलना है 5 डिसमिल जमीन
इस योजना के तहत राज्य सरकार पात्र भूमिहीन परिवारों को 5 डिसमिल तक की जमीन देने का प्रावधान करती है. अब तक 1.25 लाख से अधिक परिवारों का सर्वेक्षण किया गया, लेकिन उनमें से लगभग 52 प्रतिशत परिवारों को “नॉट फिट फॉर लैंड अलॉटमेंट” यानी ज़मीन के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया. जब इतनी बड़ी संख्या में परिवारों को अयोग्य करार दिया गया, तो विभाग को संदेह हुआ कि स्थानीय अधिकारियों द्वारा जान-बूझकर गरीबों के साथ भेदभाव किया गया है. विभाग के सचिव जय सिंह ने हाल ही में अपर समाहर्ताओं के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर योजना की समीक्षा की. इसमें यह तथ्य सामने आया कि अब तक सिर्फ 48,000 परिवारों को ही जमीन मिल पाई है. सबसे चिंताजनक बात यह है कि कई क्षेत्रों में मुसहर, दलित और महादलित समुदायों के परिवारों को भी अयोग्य बता दिया गया. इन परिवारों की आर्थिक और सामाजिक स्थिति बेहद कमजोर है, फिर भी उन्हें लाभ से वंचित किया गया.
जांच के बाद अधिकारियों पर होगी कार्रवाई
अब तक जिन जिलों से रिपोर्ट मिली है, उनमें स्पष्ट हुआ है कि कई प्रखंडों में अंचलाधिकारी और राजस्व अधिकारी नियमों की अनदेखी कर रहे हैं. सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले जिलों से स्पष्टीकरण (शोकॉज नोटिस) मांगा जा रहा है. अब तक विभाग आधा दर्जन से अधिक कर्मियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई कर चुका है. अंतिम जांच रिपोर्ट आने के बाद दोषी अधिकारियों के खिलाफ निलंबन, विभागीय कार्यवाही और यहां तक कि एफआईआर दर्ज करने जैसे सख्त कदम उठाए जा सकते हैं. भूमिहीन किसान संघ के नेताओं का कहना है कि यह बेहद शर्मनाक है कि जिन्हें सबसे ज्यादा ज़रूरत है, उन्हें ही सरकार की योजना से बाहर कर दिया गया है. विभाग की सख्ती और पारदर्शिता की दिशा में उठाए गए कदमों से उम्मीद है कि न्याय मिलेगा और योग्य लाभुकों को उनका हक जरूर मिलेगा.
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