तीन चरणों में 4.17 करोड़ से अधिक दस्तावेजों का होगा डिजिटाइजेशन
भूमि विभाग ने करीब चार करोड़ 17 लाख दस्तावेजों को डिजिटाइज करने का महत्वपूर्ण लक्ष्य रखा है, जिसे तीन चरणों में पूरा किया जाएगा. इसके तहत पहले चरण का काम जारी है. दूसरे चरण में वर्ष 1948 से 1990 के बीच के करीब दो करोड़ 23 लाख दस्तावेज डिजिटाइज किए जाएंगे. वहीं, तीसरे और आखिरी चरण में वर्ष 1908 से 1947 के बीच के एक करोड़ 44 लाख से अधिक दस्तावेज ऑनलाइन अपलोड होंगे.
विभाग के पास वर्ष 1796 से अबतक के दस्तावेज हैं मौजूद
विभाग के पास वर्ष 1796 से लेकर अबतक के जमीन संबंधित दस्तावेज कागजी तौर पर उपलब्ध हैं, जिनमें 99 प्रतिशत से अधिक दस्तावेज जमीन-जायदाद से संबंधित हैं. इन दस्तावेजों को सहेजना चुनौतीपूर्ण है. समय पर दस्तावज नहीं मिलने पर भूमि विवाद के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. डिजिटाइजेशन से न केवल इन्हें सुरक्षित रखा जाएगा, बल्कि आसानी से इन्हें ढूंढा भी जा सकेगा.
डाउनलोड की सुविधा: महानिरीक्षक निबंधन
आबकारी आयुक्त सह महानिरीक्षक निबंधन रजनीश कुमार सिंह ने बताया कि निबंधित जमीन के दस्तावेजों और अभिलेखों के डिजिटाइजेशन से लोग घर बैठे इसे देख और डाउनलोड कर सकेंगे. इस सुविधा से खासतौर पर वरिष्ठ नागरिकों को राहत मिलेगी. इसके लिए विभाग युद्धस्तर पर काम कर रहा है.
बिहार चुनाव की ताजा खबरों के लिए क्लिक करें
दस्तावेजों को तीन चरणों में किया जा रहा अपलोड
जमीन संबंधी दस्तावेजों को डिजिटाइज करने की तीन प्रिक्रियाएं होती हैं. पहली प्रक्रिया में दस्तावेजों को स्कैन किया जाता है, फिर उसकी जानकारी अपलोड की जाती है. अंत में इसे नागरिकों के लिए सार्वजनिक किया जाता है. इससे भू अभिलेखों को खोजने में आसानी होगी, नागरिकों और रजिस्ट्री कर्मचारियों दोनों के समय और संसाधनों की बचत होगी. इसके साथ ही विवादों का समाधान और अभिलेखों में छेड़छाड़ की आशंका कम हो जाएगी. इससे भू-माफियाओं पर अंकुश लगेगा.