Bihar Bhumi: अब चकबंदी वाले गांवों में इनको ही मिलेगा मुआवजा, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग का बड़ा फैसला

Bihar Bhumi:राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने भू-अर्जन के दौरान चकबंदी वाले गांवों में हो रही समस्याओं के समाधान हेतु बड़ा फैसला लिया है. अब वास्तविक कब्जाधारी रैयत को ही मुआवजा मिलेगा, चाहे वह खतियान या जमाबंदी से मेल न खाता हो, अगर उसका दावा प्रमाणित हो.

By Paritosh Shahi | July 17, 2025 6:32 PM
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Bihar Bhumi: राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने चकबंदी किए गए गांवों में भू-अर्जन की प्रक्रिया के दौरान उत्पन्न जटिलताओं के समाधान की दिशा में बड़ा फैसला लिया है. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने सभी जिलों के समाहर्ताओं को निर्देश जारी करते हुए स्पष्ट किया है कि ऐसे मामलों में जहां खतियान, जमाबंदी और दखल कब्जा में अंतर है वहां वास्तविक कब्जाधारी रैयत को ही मुआवजा दिया जाएगा.

अधिसूचना जारी

बिहार चकबंदी अधिनियम 1956 के तहत राज्य के 5657 गांवों में चकबंदी की कार्रवाई प्रारंभ की गई थी. इनमें से 2158 गांवों में यह प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और अधिसूचना भी जारी कर दी गई है. बावजूद इसके कई स्थानों पर रैयतों का कब्जा अब भी पुराने सर्वे खतियान (सीएस/आरएस) के आधार पर बना हुआ है जबकि चकबंदी खतियान एवं पंजी-2 की जमाबंदी अद्यतन हो चुकी है.

क्या निर्देश दिया गया

अपर मुख्य सचिव के अनुसार ऐसे कई मामलों में चकबंदी खतियान, ऑनलाइन जमाबंदी और जमीन पर वास्तविक कब्जा, इन तीनों में मेल नहीं होने के कारण भू-अर्जन के भुगतान में अड़चनें आ रही हैं. इससे कई विकास परियोजनाएं प्रभावित हो रही हैं.

इस स्थिति के समाधान के लिए जारी निर्देश में कहा गया है कि जिस खेसरे या खेसरा अंश का भू-अर्जन किया जा रहा है उस पर वास्तविक रूप से कब्जा रखने वाले व्यक्ति को ही रैयत मानते हुए भुगतान किया जाएगा अगर वह अतिक्रमणकर्ता न हो और उसका दावा पूर्ववर्ती खतियान या उसपर आधारित लेन-देन से प्रमाणित हो.

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विकास के काम प्रभावित न हो

जिला भू-अर्जन पदाधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वे ऐसे मामलों में आत्मभारित आदेश पारित करें, जिसमें स्पष्ट किया जाए कि किन आधारों पर वास्तविक कब्जाधारी को भुगतान किया गया है भले ही वह खतियान या जमाबंदी से मेल न खाता हो. इस पर विधिक परामर्श भी प्राप्त कर लिया गया है और संबंधित अधिनियमों में संशोधन की प्रक्रिया जारी है. संशोधन की प्रतीक्षा किए बिना फिलहाल यह अंतरिम समाधान लागू किया गया है ताकि विकास कार्यों की गति प्रभावित न हो.

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