शिक्षकों की कमी नहीं, फिर भी गिर रहा है प्रदर्शन
शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर उठते सवालों को बिहार सरकार पहले ही दूर कर चुकी है. बीपीएससी से चयनित 22 नए शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति के बावजूद विद्यालय का प्रदर्शन सुधर नहीं रहा. ऐसे में अब शैक्षणिक गुणवत्ता और मूल्यांकन प्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं.
छात्रों का आरोप: भाषा बनी बाधा
विद्यालय के छात्रों का मानना है कि उनकी उत्तरपुस्तिकाओं का सही मूल्यांकन नहीं हो रहा. एक छात्र ने बताया, “हम सभी अंग्रेजी में परीक्षा देते हैं, लेकिन बिहार बोर्ड के हिंदी माध्यम के शिक्षक हमारी कॉपियों की जांच करते हैं. इससे हमें सही अंक नहीं मिल पाते.”
छात्रों की मांग है कि बिहार बोर्ड को टॉपर्स की कॉपियां ऑनलाइन अपलोड करनी चाहिए ताकि वे अपनी गलतियों को समझ सकें और सुधार कर सकें.
सिमुलतला: कभी सफलता की गारंटी, अब संघर्ष जारी
- 2015 में टॉप टेन में 30 छात्रों ने जगह बनाई थी.
- 2016 में 42 छात्र टॉपर्स की सूची में थे.
- 2019 तक यह संख्या 16 तक गिर गई.
- 2020 में सिर्फ 6 छात्र टॉप-10 में आए.
- 2021 में 13 छात्रों ने जगह बनाई.
- 2022 में यह संख्या सिर्फ 5 रह गई.
- 2024 में कोई भी छात्र टॉप 5 या टॉप 10 में नहीं आ सका.
क्या सरकार उठाएगी ठोस कदम?
सिमुलतला आवासीय विद्यालय की स्थापना 2010 में गुरुकुल पद्धति पर आधारित शिक्षा देने के लिए की गई थी. इसे बिहार के सर्वश्रेष्ठ मेधावी छात्रों का केंद्र माना जाता था. लेकिन अब लगातार गिरते रिजल्ट ने स्कूल की साख पर सवाल खड़े कर दिए हैं.
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