अल्पना की मेहनत और सफलता की कहानी
अल्पना ने बताया कि सेल्फ स्टडी और नियमित मेहनत ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया है. उन्होंने मैट्रिक परीक्षा में भी 437 अंक हासिल किए थे, जो उनकी लगातार मेहनत का सबूत है. विज्ञान संकाय की इस छात्रा को टॉपर वेरिफिकेशन के लिए बुलाए जाने पर स्थानीय लोगों में खुशी का माहौल है. आजमनगर बाजार के अवधेश पोद्दार ने कहा कि मेहनत का कोई विकल्प नहीं होता, और अल्पना ने इसे साबित कर दिखाया. अल्पना की इस उपलब्धि ने न केवल कटिहार बल्कि पूरे बिहार में गरीबी के बावजूद पढ़ाई में उत्कृष्टता हासिल करने का एक उदाहरण पेश किया है.
बिहार बोर्ड टॉपर वेरिफिकेशन की प्रक्रिया
बिहार बोर्ड टॉपर्स को फाइनल करने के लिए एक सख्त वेरिफिकेशन प्रक्रिया अपनाता है, जो 2016 के टॉपर घोटाले के बाद शुरू की गई थी. इस प्रक्रिया में सबसे ज्यादा अंक पाने वाले छात्रों की कॉपियों की दोबारा जांच की जाती है, ताकि किसी भी गलती की गुंजाइश न रहे. छात्रों की हैंडराइटिंग को उनके मूल उत्तर पत्रों से मिलाया जाता है. इसके बाद टॉपर्स को इंटरव्यू के लिए बुलाया जाता है, जहां सब्जेक्ट एक्सपर्ट उनसे उनके विषय से संबंधित सवाल पूछते हैं और कुछ सवाल सॉल्व करने को कहते हैं. उदाहरण के लिए, 2023 की टॉपर मिथी कुमारी ने बताया था कि उन्हें उनके संस्कृत निबंध को दोबारा लिखने के लिए कहा गया था, ताकि उनकी हैंडराइटिंग की पुष्टि हो सके. यह प्रक्रिया नकल और गड़बड़ी को रोकने के लिए शुरू की गई थी, लेकिन कुछ लोग इसे लेकर सवाल भी उठाते हैं.
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