झारखंड सीमा से सटी चाहता है झारखंड मुक्ति मोर्चा
झारखंड में भारतीय जनता पार्टी को सत्ता से बाहर करने के बाद अब झारखंड मुक्ति मोर्चा की नजर बिहार के सीमावर्ती इलाकों पर है. हेमंत सोरेन की अगुवाई में पार्टी ने बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर अपनी रणनीति पर काम शुरू कर दिया है.
JMM ने हाल ही में RJD के शीर्ष नेतृत्व के समक्ष यह प्रस्ताव रखा कि बिहार में उसे कम से कम 12 सीटों पर लड़ने का मौका दिया जाए. पार्टी की यह मांग खासतौर से उन सीटों को लेकर है जो झारखंड सीमा से सटी हुई हैं—जैसे चकाई, झाझा, सिमुलतला आदि. इनमें से कुछ इलाकों में JMM का जातीय और सामाजिक आधार मौजूद है.
राजद अभी पूरी तरह से इस प्रस्ताव को खारिज करने की स्थिति में नहीं है. पार्टी की रणनीति यह है कि झारखंड में चल रहे गठबंधन को बिहार तक विस्तार देने से INDIA गठबंधन की एकता का संदेश जाएगा.
2020 में बिहार में अपनी किस्मत आजमाई थी, झारखंड मुक्ति मोर्चा ने
2020 के चुनाव में भी JMM ने बिहार में अपनी किस्मत आजमाई थी, लेकिन कोई भी सीट नहीं जीत सका. हालांकि इससे पहले 2010 में पार्टी ने चकाई सीट से जीत दर्ज की थी, जहां से सुमित कुमार विधायक बने थे. यही वजह है कि पार्टी फिर से सीमावर्ती इलाकों में अपनी सियासी मौजूदगी दर्ज कराना चाहती है.
महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने चेतावनी भरे लहजे में कहा है कि यदि इस बार भी JMM को नजरअंदाज किया गया, तो इसका असर झारखंड में गठबंधन की सेहत पर भी पड़ सकता है. तेजस्वी यादव इस बार JMM की मांग को लेकर पहले से ज्यादा गंभीर हैं.
फिलहाल RJD की रणनीति यह दिख रही है कि झारखंड की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाए रखा जाए, लेकिन सीटों की संख्या पर अंतिम निर्णय चुनावी समीकरण और पार्टी हित देखकर लिया जाएगा. चर्चा है कि सीमावर्ती तीन-चार सीटों पर JMM का थोड़ा-बहुत प्रभाव है, इसलिए उन्हीं में से दो-तीन सीटें देकर संतुलन साधा जा सकता है.
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