पुलिस मुख्यालय को केंद्र से मिली चिट्ठी
संवाददाता, पटना
बिहार भी अब अपराध नियंत्रण और जांच के लिए राष्ट्रीय खुफिया ग्रिड (नैटग्रिड) का अधिकतम उपयोग करेगा. कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ खुफिया सेवाओं और जांच के लिए वास्तविक समय की जानकारी साझा करने वाले ‘नैटग्रिड’ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी पीयूष गोयल का पत्र पुलिस मुख्यालय को मिला है. इसमें राज्य पुलिस को निर्देश दिया गया है कि नैटग्रिड को अपने सिस्टम का हिस्सा बनाएं, एसपी स्तर के अधिकारियों को नोडल अफसर नामित करें और उपयोग की नियमित समीक्षा करें. इस व्यवस्था के लागू होने से पुलिस को किसी संदिग्ध के मोबाइल नंबर, बैंकिंग ट्रांजेक्शन या यात्रा की जानकारी की जरूरत होने पर नैटग्रिड के जरिए रीयल टाइम डाटा मिल सकेगा. इससे जांच की गति बढ़ेगी, चार्जशीट समय पर दाखिल होगी और दोषियों को सजा दिलाना आसान होगा. आवश्यकता पड़ने पर जिला और थाना स्तर तक प्रशिक्षण सत्र आयोजित किये जायेंगे.
क्यों जरूरी है नैटग्रिड
बिहार एक सीमावर्ती राज्य है, जहां नेपाल सीमा से सटे जिलों — जैसे पश्चिम चंपारण, सीतामढ़ी, सुपौल, अररिया और किशनगंज — में मादक पदार्थों की तस्करी, जाली नोटों का प्रचलन और सीमा पार अपराध जैसी गंभीर चुनौतियां हैं. वहीं शहरी क्षेत्रों जैसे पटना, गया और मुजफ्फरपुर में साइबर अपराध, आर्थिक धोखाधड़ी और संगठित गिरोहों की गतिविधियां चिंता का विषय हैं. नैटग्रिड से जुड़ने के बाद पुलिस को इन सभी अपराधों से संबंधित सूचनाएं रीयल टाइम में विभिन्न विभागों और एजेंसियों से समन्वित रूप में मिल सकेंगी. इससे संदिग्धों की पहचान, उनकी ट्रैकिंग और गिरफ्तारी में तेजी आयेगी. क्या है नैटग्रिड
नैटग्रिड एक इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म है जो विभिन्न सरकारी और निजी स्रोतों से प्राप्त सूचनाओं को रीयल टाइम में साझा करता है. इसमें आतंकवाद, संगठित अपराध, फर्जी पहचान, वित्तीय लेन-देन, यात्रा विवरण, टेलीफोन रिकॉर्ड, आव्रजन, मादक पदार्थों और जाली मुद्रा से संबंधित डेटा एकीकृत होते हैं. 20 तरह के डेटा का उपयोग देश की 11 केंद्रीय एजेंसियों और सभी राज्य पुलिस बलों को करना है. 26/11 आतंकी हमले के बाद बनी थी योजना
मुंबई में 26/11 आतंकी हमले के बाद नैटग्रिड की परिकल्पना की गयी थी ताकि जांच एजेंसियों को एक साझा तकनीकी मंच उपलब्ध हो. इसमें रेलवे, एयरलाइंस, बैंक, क्रेडिट कार्ड कंपनियां, दूरसंचार, आव्रजन सहित 20 से अधिक क्षेत्रों से जुड़ी जानकारियां एक साथ मिलती हैं, जो जांच एजेंसियों के लिए उपयोगी होती हैं.
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