माचिस के नाम पर हो रही थी सिगरेट की आपूर्ति
फैक्ट्री का संचालन हिसुआ में किया जा रहा था और इसके जरिए सिगरेट का उत्पादन कर माचिस के नाम पर माल की आपूर्ति की जा रही थी, ताकि टैक्स से बचा जा सके. जांच में यह भी पाया गया कि आरा में रजिस्ट्रर्ड एक कारोबार के नाम पर फर्जी ई-वे बिल तैयार किए गए और उसी आधार पर माल की आपूर्ति की गई. जब इन वाहनों की चेकिंग की गई तो मामला उजागर हो गया.
छापेमारी में मिली सैकड़ों कार्टन सिगरेट
वाणिज्य कर विभाग की इंटेलिजेंस यूनिट ने जैसे ही सूचना की पुष्टि की, तत्काल छापा मारा गया. छापेमारी के दौरान फैक्ट्री में सैकड़ों कार्टन सिगरेट और अन्य दस्तावेज बरामद किए गए. अब पटना सिटी में सिंडिकेट से जुड़े मुख्य कारोबारी के अन्य लाइसेंसों और रजिस्ट्रेशन की भी जांच की जा रही है.
टैक्स चोरी में संगठित गिरोह शामिल
सूत्रों के मुताबिक, इस कर चोरी में एक पूरा संगठित गिरोह शामिल है, जो सिगरेट जैसे उत्पादों की बड़ी मात्रा में बिक्री कर टैक्स चोरी कर रहा था. विभाग का मानना है कि माचिस के पैकेटों में सिगरेट छिपाकर माल की आपूर्ति करना सुनियोजित रणनीति का हिस्सा था, ताकि न केवल टैक्स बचाया जा सके, बल्कि जांच से भी बचा जा सके.
फिलहाल जांच जारी है और उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दिनों में इससे जुड़े और भी बड़े नाम सामने आ सकते हैं. वाणिज्य कर विभाग अब इस केस को मॉडल केस मानकर अन्य जिलों में भी जांच का दायरा बढ़ा सकता है.
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