Bihar Election 2025: बिहार वोटर लिस्ट रिवीजन पर SC में हुई अहम सुनवाई, जानिए 8 प्रमुख बातें…
Bihar Election 2025: बिहार वोटर लिस्ट रिवीजन को विपक्षी पार्टियों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. जिसके बाद आज कोर्ट में इस मुद्दे पर तीखी बहस हुई. चुनाव आयोग के इस फैसले से लगातार सियासत में हलचल मची हुई है. तो वहीं, आज कोर्ट में भी कई प्रमुख बातें निकलकर सामने आई.
By Preeti Dayal | July 10, 2025 3:22 PM
Bihar Election 2025: सुप्रीम कोर्ट में आज बिहार वोटर लिस्ट रिवीजन के मुद्दे पर सुनवाई हुई. बिहार विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग के मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान का विपक्षी पार्टियों ने विरोध किया था और सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. इधर, आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान तीखी बहस हुई. सुप्रीम कोर्ट की ओर से याचिकार्ताओं से चुनाव आयोग के खिलाफ सबूत मांगे. कहा गया कि, यह साबित करके दिखाएं कि, चुनाव आयोग सही नहीं कर रहा है. इसके अलावा जो अन्य प्रमुख बातें निकलकर सामने आई, वे इस प्रकार हैं…
यह सुनवाई जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने की. याचिकाकर्ता की ओर से कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी और गोपाल शंकर नारायणन तो वहीं चुनाव आयोग के ओर से पूर्व अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने दलील पेश की.
सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायण की ओर से कहा गया कि, हम वोटर्स लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण को चुनौती दे रहे हैं. इस प्रक्रिया के लिए चुनाव आयोग ने बेहद कम समय दिया है जो पारदर्शी और निष्पक्ष नहीं है. चुनाव आयोग वही कर रहा जो, उसे नहीं करना चाहिए. यह मनमानी है.
कपिल सिब्बल ने कहा कि, आधार कार्ड को नागरिकता का सबूत मानने से इनकार करना और अन्य दस्तावेजों की मांग करना हाशिए पर रहने वाले समुदायों के लिए अन्यायपूर्ण है.
सुनवाई के दौरान जस्टिस सुधांश धूलिया की तरफ से कहा गया कि, संविधान में जो प्रावधान है, चुनाव आयोग वही कर रहा है. ऐसे में यह कहना सही नहीं है कि, चुनाव आयोग वह कर रहा जो उसे नहीं करना चाहिए. बल्कि संविधान के तहत ही अनिवार्य कार्य किया जा रहा है.
इधर, वकील गोपाल शंकर नारायणन ने कहा कि, नई प्रक्रिया के तहत 7.9 करोड़ लोगों को फिर से दस्तावेज देने होंगे और सिर्फ 11 दस्तावेज स्वीकार किए जा रहे हैं. कोर्ट में वकील कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने भी SIR प्रक्रिया का विरोध किया और लाखों वोटर्स के नाम लिस्ट से हटने को लेकर खतरा भी बताया.
अधिवक्ता गोपाल शंकर नारायणन ने कहा कि आयोग ने वोटर आईडी कार्ड को भी अमान्य कर दिया गया है. साल 2003 की मतदाता सूची में जिनका नाम है, उन्हें भी एक नया फॉर्म भरना होगा नहीं तो उनका नाम लिस्ट से हटा दिया जाएगा. हालांकि, कोर्ट ने कहा कि, पहले ये साबित कीजिए कि चुनाव आयोग जो कर रहा है, वह सही नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान आधार कार्ड की मान्यता नहीं होने को लेकर कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की गई. कहा गया कि, यह काम गृह मंत्रालय का है. इस पर कोर्ट ने यह भी कहा कि, आपको अगर यह करना है तो फिर इतनी देरी क्यों की. यह चुनाव से ठीक पहले नहीं होना चाहिए.
बता दें कि, बिहार वोटर लिस्ट रिविजन के विरोध में 9 पार्टियों ने याचिका दायर की थी. इसके साथ ही कल ही बड़े स्तर पर बिहार में विरोध-प्रदर्शन भी किया गया था. कुल मिलाकर देखें तो, लगातार विपक्षी पार्टी इसका विरोध करते हुए दिख रहे हैं.
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