Bihar Flood: कोसी बराज से 1968 में छोड़ा गया था 9.13 लाख क्यूसेक पानी, अक्टूबर में डूबा था आधा बिहार

Bihar Flood: नेपाल में भारी वर्षा के कारण रविवार की सुबह कोसी बराज, वीरपुर से 6,61,295 क्यूसेक जलस्राव हुआ है, जो 1968 के बाद सबसे अधिक जलस्राव है. वर्ष 1968 में कोसी नदी में अक्टूबर महीने में रिकॉर्ड 9.13 लाख क्यूसेक पानी आया था.

By Ashish Jha | September 29, 2024 9:35 AM
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Bihar Flood: पटना. बिहार में रविवार की सुबह कोसी का जलप्रवाह 56 वर्षों में सर्वाधिक दर्ज किया गया. नेपाल में भारी वर्षा के कारण रविवार की सुबह कोसी बराज, वीरपुर से 6,61,295 क्यूसेक जलस्राव हुआ है, जो 1968 के बाद सबसे अधिक जलस्राव है. वर्ष 1968 में कोसी नदी में अक्टूबर महीने में रिकॉर्ड 9.13 लाख क्यूसेक पानी आया था. तब बिहार में बड़े स्तर पर बाढ़ से तबाही हुई थी.

प्रलयकारी था 1968 का बाढ़

1968 में आयी बाढ़ को याद करते हुए जल वैज्ञानिक डॉ दिनेश मिश्र एक संस्मरण साझा किया है. डॉ दिनेश मिश्र कहते हैं कि कोसी में अब तक का सर्वाधिक प्रवाह 9.13 लाख क्यूसेक 5 अक्टूबर, 1968 के दिन देखा गया था, जबकि कोसी तटबन्धों के बीच 9.50 क्यूसेककी प्रवाह क्षमता के लिए तटबन्ध की डिजाइन की गई थी. उस बार नदी के पश्चिमी तटबन्ध में दरभंगा जिले के जमालपुर के नीचे घोंघेपुर के बीच में पाँच जगह दरार पड़ी थी और भारी तबाही हुई थी.

चूहों पर लगा तटबंध कमजोर करने का आरोप

दिनेश मिश्र कहते हैं कि इस दुर्घटना की जांच केन्द्रीय जल आयोग के एक इंजीनियर पीएन कुमरा ने की थी. उन्होनें इसके लिए चूहों को जिम्मेवार ठहराया था. कालक्रम में यह दरारें भर दी गई थीं. 1968 के बाद का यह सर्वाधिक प्रवाह है. हम आशा करते हैं कि यह दौर बिना किसी अनिष्ट के कुशलपूर्वक बीत जायेगा. राज्य सरकार ने सभी कर्मचारियों और अफसरान की छुट्टियाँ रद्द करके अच्छा संकेत दिया है और और सभी सुरक्षात्मक उपाय पूरा कर लेने की तैयारी का उद्घोष भी किया है, जो प्रशांशनीय है.

नीतीश कुमार ने पूरा किया आश्वासन

दिनेश मिश्रा कहते हैं कि 2008 में कुसहा में जो तटबन्ध टूटा था, वह दुर्भाग्यवश 1.44 लाख क्यूसेक पर ही टूट गया था, जो एक चिंताजनक घटना थी. विश्वास था कि इस बार ऐसा कुछ नहीं होगा. उस घटना को याद करके नदी के जिस प्रवाह की बात की जा रही है, वह भयावह लगता है. मुझे याद है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तब सबको आश्वस्त किया था कि तटबन्ध को इतना मजबूत कर दिया गया है कि अब तीस साल तक कुछ नहीं होने वाला है. यह समय सीमा अभी पूरी नहीं हुई है और हम प्रार्थना करते हैं कि ईश्वर इस दुर्योग से सबकी रक्षा करेगा.

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तीसरा कोई विकल्प नहीं

दो पाटन के बीच रहनेवालों के प्रति चिंता व्यक्त करते हुए दिनेश मिश्र कहते हैं, “हम यह भी कहना चाहेंगे कि जब इतना पानी सफलता पूर्वक तटबन्धों के बीच से गुजरेगा तब उनके बीच रहने वालों की परेशानी बेतरह बढ़ेगी. उनके हितों का ध्यान सरकार जरूर रखेगी. तटबन्ध के साथ परेशानी यही है कि अगर उसे कुछ हो जाता है तो वह कंट्री साइड में उपद्रव करेगा और सुरक्षित रहेगा तो रिवर साइड में जिंदगी दुश्वार करेगा. तीसरा कोई विकल्प नहीं है. ईश्वर से प्रार्थना है कि हमारी रक्षा करे.

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