Home Badi Khabar बिहार में मानसून की बारिश बनी मुसीबत! पटना समेत कई जिलों में तबाही का मंजर, नदियों में ऊफान

बिहार में मानसून की बारिश बनी मुसीबत! पटना समेत कई जिलों में तबाही का मंजर, नदियों में ऊफान

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बिहार में मानसून की बारिश बनी मुसीबत! पटना समेत कई जिलों में तबाही का मंजर, नदियों में ऊफान

बिहार में लगातार हो रही बारिश के कारण बाढ़ के हालात बने हुए हैं. बारिश के कारण प्रदेश की कई नदियों का जलस्तर बढ़ रहा है. जिससे सूबे के कई इलाकों की स्थिति गंभीर हो गयी है. गंगा और पुनपुन से पटना तो महानंद नदी और उसकी सहायक नदियों के बाढ़ से सीमांचल के पूर्णिया, अररिया, किशनगंज और कटिहार जिले प्रभावित हुए हैं. वहीं गंगा के जलस्तर बढ़ने से पटना, बक्सर, भागलपुर समेत कई जिले प्रभावित हैं.

बक्सर में गंगा का जल स्तर बढ़ने की रफ्तार में कमी हो गयी है. बुधवार की दोपहर 12 बजे से लेकर गुरुवार की दोपहर 12 बजे तक गंगा का जल स्तर महज चार सेंटीमीटर बढ़ा है. गुरुवार की दोपहर 12 बजे तक बक्सर में गंगा का जल स्तर 58.70 मीटर दर्ज किया गया. जबकि बुधवार को दोपहर 12 बजे तक गंगा का जलस्तर 58.66 मीटर दर्ज किया गया था. जिले में गंगा का जल स्तर का चेतावनी स्तर 59.320 मीटर है. जबकि खतरे का निशान का स्तर 60.320 मीटर है.

बक्सर में गंगा का जलस्तर चेतावनी बिंदु से 620 सेंटीमीटर नीचे बह रहा है. रामरेखा घाट, सिद्धनाथ घाट, नाथ बाबा मंदिर घाट की सीढ़ियां गंगा के पानी में डूब गयी हैं.गंगा नदी के जल स्तर में बढ़ोतरी से अब कर्मनाशा नदी में दबाव बढ़ने लगा है, जिससे कर्मनाशा नदी के तटीय क्षेत्र के गांवों के लोगों की चिंता बढ़ा दी है.

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गंगा एवं उसकी सहायक नदियों के जल ग्रहण क्षेत्रों में लगातार हो रही बारिश की वजह से गंगा नदी का जलस्तर समस्तीपुर के मोहनपुर में खतरे के निशान से एक मीटर ऊपर हो गया है. यहां खतरे का निशान 45.50 मीटर है.

भागलपुर के कहलगांव में गंगा खतरे के निशान को पार कर चुकी है. यहां खतरे का निशान 31.09 मीटर पर है लेकिन यहां अभी गंगा 31.15 मीटर पर बह रही है. शुक्रवार रात तक यह 31.44 मीटर तक जाने का अनुमान है. मुंगेर, साहेबगंज और फरक्का में भी ये तेजी से बढ़ रहा है. सुल्तानगंज में गंगा का जलस्तर बढ़ने से पानी दियारा क्षेत्र में फैल रहा है.

गोपालगंज में गंडक नदी का लेवल घटने लगा है. पानी कम होने के साथ ही गांवों से भी पानी घटने लगा है. नदी का लेवल घटने के साथ ही तटबंधों पर कटाव का खतरा बढ़ता जा रहा है. उधर, मांझा प्रखंड के नेमुइया ग्राम पंचायत के टोक सखवा गांव के करीब पहुंचकर नदी कटाव कर रही है. नदी के कटाव से गांव में घरों को तोड़कर लोग खाली कर चुके हैं. दो-चार की संख्या में घर बचे हैं, जिन्हें तोड़ने का काम तेजी से चल रहा है. अगले 24 घंटे में गांव का अस्तित्व मिट जायेगा.

वाल्मीकिनगर बराज से पिछले 24 घंटों में पानी का डिस्चार्ज 1.36 लाख क्यूसेक बना रहा. हर दो घंटे में नदी का लेवल घटता-बढ़ता रहा है. पिछले 34 दिनों के बाद नदी खतरे के निशान से एक मीटर से कम हुआ. गुरुवार को नदी खतरे के निशान से 98 सेमी ऊपर रही. पानी का लेवल कम होने के बाद भी अभी भी 28 गांवों में नाव ही सहारा है.

POSTED BY: Thakur Shaktilochan

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