50 साल पुरानी दोस्ती को कौन याद रखता है…
नियाज अहमद ने बताया कि ’50 साल पुरानी दोस्ती को कौन याद रखता है, लेकिन आरिफ़ मिलने आए. यह हमारे लिए बहुत बड़ी बात है. कॉलेज के दोस्त अब राज्यपाल हो गए हैं. वो खुद चलकर हमसे मिलने आए.’ नियाज अहमद ने बताया कि ‘उनके मित्र जैसे ही यहां आए हैं वह मेरा हाल-चाल लेने के लिए पहुंचे. कॉलेज के समय हम अच्छे मित्र रहे हैं और आज हम साधारण आदमी हैं और वह बहुत बड़े आदमी बन गए हैं. हमारे बुलावे पर नहीं बल्कि वह अपने मन से हमारे घर पहुंचे यह बहुत बड़ी बात है. जिस तरह से कृष्ण ने सुदामा से मुलाकात की थी उसी तरह हमारी भी मुलाकात हुई.’
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मेरे पास कोई व्यवस्था नहीं है, हम एकदम मामूली इंसान हैं
राज्यपाल के दोस्त नियाज ने बताया कि ‘बिहार के गवर्नर ने जब फोन किया कि मैं आ रहा हूं तब मैंने मना किया कि बिना कारण क्यों आएंगे. मेरे पास कोई व्यवस्था नहीं है, हम एकदम मामूली इंसान हैं. तुम फोन करोगे तो हम खुद गवर्नर हाउस तुमसे मिलने आएंगे.’ ‘राज्यपाल ने जवाब दिया कि नहीं, नहीं मैं आऊंगा ही तुमसे मिलने के लिए और वह आ गए. आज के समय में यह बहुत बड़ी बात है कि कोई 50 साल पुराने दोस्त से मिलने उसके घर आ जाए. आज के समय में लोग 10 साल में एक दूसरे को भूल जाते हैं.
बता दें कि मोहम्मद नियाज अहमद मूल रूप से दरभंगा के बहेड़ी के रहने वाले हैं. नियाज झारखंड सरकार में रेवेन्यू विभाग में अधिकारी के पद पर कार्यरत थे. वे 2010 में रिटायर हुए हैं.
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