बिहार सरकार उल्लू के संरक्षण को लेकर गंभीर है. दिवाली में अंधविश्वास के कारण कई लोग उल्लू की बलि देते हैं, जिसे रोकने के लिए सरकार बेहद सख्ती बरत रही है. उल्लू पकड़ने और शिकार करने वालों पर कानूनी कार्रवाई होगी और आरोपित को जेल की सजा काटनी होगी.
दिवाली नजदीक आने के बाद अब सरकार को उल्लू की चिंता सताने लगी है. दरअसल, भारतीय वन्य जीव अधिनियम 1972 की अनुसूची एक के तहत उल्लू संरक्षित है. इसे विलुप्तप्राय जीवों की श्रेणी में रखा गया है. जिसके शिकार और तस्करी पर प्रतिबंध है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने इस मामले में सभी जिलों के डीएम-एसपी को अलर्ट भेज दिया है.
#दिवाली के शुभ अवसर पर कई लोग अंधविश्वास के चक्कर में #उल्लू जैसे अद्भुत पक्षी हत्या कर यह सोचते हैं, कि उन्हें धन समृद्धि मिलेगी। ऐसे #अंधविश्वास में ना पड़े,उल्लू के शिकार करना दंडनीय अपराध है,ऐसा करने पर आपको कम से कम तीन वर्ष या उससे अधिक की भी #सजा हो सकती है।#HappyDiwali pic.twitter.com/MTCHxRQry7
— Department of Environment, Forest & Climate Change (@DEFCCOfficial) October 30, 2021
गौरतलब है कि दीपावली के दिन तांत्रिक उल्लूओं की बलि देते पाए जाते हैं. अंधविश्वास में आकर वो इस तरह तंत्र-मंत्र को जगाने का काम करते हैं. दिवाली के समय उल्लू की कीमत हजारों में होती है. उल्लू की डिमांड बढ़ने के कारण शिकारी एडवांस तक लेते हैं और शिकार करके लाते हैं.
बता दें कि उल्लू को लेकर तरह-तरह की भ्रांतियां फैली हुई है. जिसके कारण अक्सर इसका शिकार किया जाता है और चोरी छिपे बेचा जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, उल्लू लक्ष्मी माता की सवारी है.
Published By: Thakur Shaktilochan
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