सरकार के पास नहीं था जमीन का आंकड़ा
विभाग का कहना है कि सरकार के पास प्रयाप्त जमीन है, लेकिन ऐसा कोई आंकड़ा अब तक उपलब्ध नहीं था. आंकड़ा उपलब्ध होने के बाद अब बिहार में उद्योग के लिए जमीन की कोई परेशानी नहीं रहेगी. सर्वे में मिली इन जमीनों का सरकारी योजनाओं और उद्योगपतियों के निवेश प्रस्तावों के लिए हो सकता है. बिहार में भी अब बड़ी-बड़ी फैक्ट्री लगेगी. राज्य सरकार ने इससे पहले लाखों एकड़ सरकारी जमीन का खाता-खेसरा लॉक किया था, जिससे कोई उसमें हेरफेर ना कर पाए.
जमीन पर दावे की होगी जांच
दरअसल, सरकारी जमीन पूरे राज्य में फैली हुई है. ऐसे में अब पहचान हो गई है कि कितनी जमीन है. अब जांच और पुष्टि के दौरान ये पता चलेगा कि उस पर कोई अवैध कब्जा या अतिक्रमण तो नहीं है, अगर ऐसी बात मिली तो उस पर कार्रवाई भी होगी. हालांकि, अगर किसी आदमी ने उस जमीन पर अपना दावा किया है, तो उसके कागजात का परीक्षण वो समिति कर रही है.
जमीन विवाद का निकलेगा रास्ता
विभाग के एसीएस दीपक सिंह ने कहा कि इस पूरी कवायद का मकसद बिहार की सारी जमीन के लैंड रिकॉर्ड को डिजिटल करना है, ताकि दो लोगों के बीच जमीन के विवाद ना हों. उन्होंने कहा कि राज्य में कई आपराधिक वारदात के पीछे जमीन का विवाद कारण में रहा है. उन्होंने कहा कि बिहार में जमीन के विवाद सुलझाना बहुत लंबे समय से बाकी काम है और पहले की सरकारें इस मसले से दूर ही रहीं. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने चुनावी साल में राजनीतिक जोखिम के बावजूद जमीन के विवाद को निपटाने के लिए यह कदम उठाया है.
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