बिहार में बनेगा रैयतों के अधिकार का नया कानून, भूमि सर्वे में 14 कॉलम में दर्ज होगी ये जानकारी

Bihar Land Survey: सारी जानकारी अमीन को उसके मोबाइल में उपलब्ध रहेगी जिसके आधार उसे यह पता रहेगा कि पूर्व के सर्वे में जमीन किसके नाम थी, रकबा क्या था, जमीन कितने टुकड़ों में विभक्त हुई है. पहले और मौजूदा समय में भूमि की प्रकृति क्या है.

By Ashish Jha | February 4, 2025 5:57 AM
an image

Bihar Land Survey: पटना. भू-अभिलेख एवं परिमाप निदेशालय ने भूमि सर्वे में रैयतों के अधिकार अभिलेख बनाने के लिए नया प्रावधान किया गया है. इसका मकसद है कि भूमि सर्वे का काम अधिक तार्किक, प्रामाणिक और त्रुटिहीन बने. नये प्रावधान में भूखंडों के स्वामित्व संबंधी विवरणी तैयार की जा रही है. इसका इस्तेमाल खेसरा पंजी बनाने में होगा. इसके आधार पर अंतिम अधिकार अभिलेख तैयार होगा. यह विवरणी 14 कॉलम की होगी, जिसमें हरेक खेसरा से संबंधित सारी जानकारी उपलब्ध होगी. सारी जानकारी अमीन को उसके मोबाइल में उपलब्ध रहेगी जिसके आधार उसे यह पता रहेगा कि पूर्व के सर्वे में जमीन किसके नाम थी, रकबा क्या था, जमीन कितने टुकड़ों में विभक्त हुई है. पहले और मौजूदा समय में भूमि की प्रकृति क्या है.

प्रपत्र-5 का किया जायेगा सत्यापन

राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने बंदोबस्त पदाधिकारियों की बैठक में दिये गये निर्देश को अमलीजामा पहनाया जा रहा है. निर्देश के अनुसार भूखंडों के स्वामित्व संबंधी विवरणी तैयार करने के लिए प्रपत्र- 5 में भरे गये आकड़े, हवाई एजेंसी द्वारा उपलब्ध कराये गये विशेष सर्वेक्षण मैप, ऑनलाइन जमाबंदी पंजी और अमीन द्वारा इकट्ठा की गयी भौतिक विवरणी सहित सभी सूचनाओं का इस्तेमाल किया जायेगा. प्रपत्र-5 से रैयत का नाम, खाता, खेसरा और रकबा का डाटा लिया जायेगा. हवाई एजेंसी द्वारा खेसरा नंबर सहित विशेष सर्वे नक्शा एवं ऑनलाइन पंजी-2 से जमाबंदी संख्या और जमाबंदीदार का नाम लिया जायेगा.

अमीन के माध्यम से तैयार होगा आंकड़ा

अमीन गांव में घूमकर वर्तमान दखलकार का नाम, खतियानी रैयत से जमाबंदी रैयत का संबंध, जमाबंदीदार से वर्तमान दखलकार का संबंध और भूमि पर दखल का आधार जैसी जानकारी जुटायेंगे. इन सारी जानकारियों का इस्तेमाल अमीन याददाश्त पंजी तैयार करने और खेसरा पंजी भरने में करेंगे. इससे गलती की संभावना कम हो जायेगी और किस्तवार और खानापुरी में समय कम लगेगा. साथ ही सुनवाई में समय की बचत होगी. अंतिम अधिकार अभिलेख बनाने के काम में भी इससे काफी मदद मिलेगी. भूखंडों की स्वामित्व संबंधी विवरणी तैयार करने में तकनीक का अधिकाधिक इस्तेमाल किया जायेगा.

Also Read: मुजफ्फरपुर का सिग्नेचर प्वाइंट बनेगा मनिका मन झील, पर्यटन मंत्री ने किया शिलान्यास

संबंधित खबर
संबंधित खबर और खबरें

यहां पटना न्यूज़ (Patna News) , पटना हिंदी समाचार (Patna News in Hindi), ताज़ा पटना समाचार (Latest Patna Samachar), पटना पॉलिटिक्स न्यूज़ (Patna Politics News), पटना एजुकेशन न्यूज़ (Patna Education News), पटना मौसम न्यूज़ (Patna Weather News) और पटना क्षेत्र की हर छोटी और बड़ी खबर पढ़े सिर्फ प्रभात खबर पर.

होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version