Bihar Land Survey: छह चरणों में चलेगा भूमि सर्वे, जरा सी चूक और फंस सकती है आपकी जमीन

Bihar Land Survey: बिहार सरकार ने भूमि सर्वेक्षण को लेकर नया निर्देश जारी किया है, समय पर दस्तावेज़ नहीं देने पर जमीन मालिकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. सर्वे की प्रक्रिया छह चरणों में पूरी की जाएगी.

By Anshuman Parashar | April 18, 2025 10:54 AM
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Bihar Land Survey: बिहार सरकार ने जमीन से जुड़े विवादों को खत्म करने और ज़मीन मालिकों के हक को सुरक्षित करने के लिए ‘विशेष सर्वेक्षण एवं बंदोबस्त जागरूकता अभियान’ शुरू कर दिया है. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग द्वारा जारी नए दिशा-निर्देशों के तहत, यह अभियान अब राज्य के सभी जिलों में चरणबद्ध तरीके से चलाया जाएगा. सरकार की मंशा साफ है हर किसान, हर ज़मीन मालिक को उनकी ज़मीन पर कानूनी अधिकार मिले, भू-रिकॉर्ड पूरी तरह डिजिटल हो और फर्जीवाड़े पर हमेशा के लिए लगाम लगे.

क्यों जरूरी है यह विशेष सर्वेक्षण?

बिहार एक कृषि प्रधान राज्य है, जहां ज़मीन सिर्फ संपत्ति नहीं बल्कि जीवन का आधार है. कई जगहों पर वर्षों से ज़मीन को लेकर विवाद चले आ रहे हैं. पुराने खतियान अधूरे हैं, नक्शे अप्रासंगिक हो चुके हैं, और कई परिवारों की ज़मीन पर अब तक किसी का नाम दर्ज ही नहीं है. ऐसे में यह सर्वेक्षण हर व्यक्ति को उसकी जमीन पर अधिकार दिलाने का माध्यम बनेगा.

छह चरणों में पूरा होगा सर्वेक्षण

राजस्व विभाग ने इस पूरे अभियान को छह साफ-सुथरे चरणों में बाँटा है:

जानकारी संग्रह और प्रपत्र-2 भरवाना

अभियान की शुरुआत अमीन द्वारा हर गांव में जाकर सभी जमीन मालिकों से प्रपत्र-2 भरवाने से होती है. इसमें ज़मीन से जुड़ी सारी जानकारी—खाता संख्या, खेसरा नंबर, सीमा, फसल, किरायेदारी आदि दर्ज की जाती है.

नक्शा निर्माण और सीमांकन

इसके बाद आधुनिक तकनीकों से खेसरा वार नक्शा तैयार किया जाता है. सीमांकन से हर भूखंड की सटीक स्थिति और दायरे की पुष्टि की जाती है.

दावा और सत्यापन प्रक्रिया

इस चरण में ज़मीन मालिकों को अपने-अपने भूखंड पर दावा करने का अवसर मिलता है. दस्तावेज़ों और नक्शों के आधार पर दावों की जांच की जाती है.

आपत्ति दर्ज और समाधान

अगर दो पक्षों के बीच ज़मीन को लेकर विवाद होता है या कोई विसंगति सामने आती है, तो उसे रिकॉर्ड किया जाता है. तहसील स्तर पर अधिकारी इसकी सुनवाई कर समाधान करते हैं.

रिकॉर्ड प्रकाशन और लगान निर्धारण

सत्यापित रिकॉर्ड सार्वजनिक रूप से प्रकाशित किया जाता है और हर भूखंड पर लगान की दर तय की जाती है. यह कदम बंदोबस्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता लाता है.

अंतिम आपत्ति और फाइनल रिकॉर्ड

यदि किसी को अब भी कोई आपत्ति हो, तो अंतिम सुनवाई का मौका दिया जाता है. इसके बाद भूमि रजिस्टर को स्थायी रूप से अपडेट किया जाता है.

जमीन मालिकों को क्या करना चाहिए?

  • प्रपत्र-2 को समय पर भरें और सही जानकारी दें.
  • पुराने दस्तावेज़ (खतियान, नक्शा, रसीद, रजिस्ट्री) तैयार रखें.
  • अमीन के निरीक्षण के समय खुद मौजूद रहें.
  • यदि कोई गलती या विवाद हो, तो आपत्ति जरूर दर्ज करें.

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डिजिटलीकरण से भविष्य के विवादों पर लगेगी रोक

सरकार का लक्ष्य है कि भूमि से जुड़ा हर रिकॉर्ड डिजिटल रूप में सुरक्षित रहे. इससे रजिस्ट्री, ऋण, सरकारी योजनाओं और योजनाबद्ध विकास कार्यों में पारदर्शिता और गति आएगी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में चलाया जा रहा यह अभियान हर किसान और ज़मीन मालिक के हित में एक ऐतिहासिक पहल माना जा रहा है.

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