चंद्रशेखर, छपरा
Bihar Land Survey सारण में जमीन सर्वेक्षण का कार्य शुरू हो चुका है. जमीन मालिक कई सवालों से जूझ रहे हैं. जो भी सवाल है वह कागजातों को लेकर है. कई लोगों के पूर्वजों के द्वारा सही ढंग से कागजात नहीं रखे जाने की वजह से सड़-गल गये हैं. ऐसे में उनके पास सबूत के लिए कुछ भी नहीं बचा है. रिकॉर्ड रूम में अपने जमीन के संबंध में जानकारी लेने जा रहे लोगों को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं.
रिकॉर्ड रूम में आवेदन देने की मारामारी
अभी सबसे अधिक भीड़ जिला अभिलेखागार में हो रही है. जहां पर खतियान का नकल लेने के लिए भीड़ जुट रही है. लोगों की परेशानी इस बात को लेकर अधिक है कि कागजात काफी विलंब से मिल रहे हैं. कई दिन दौड़ना पड़ रहा है. आर्थिक क्षति भी हो रही है. घूसखोरी बढ़ गयी है. लेकिन कागजात हासिल करना है. ऐसे में लोगों के सामने भी मजबूरी है. जबकि अधिकारियों का कहना है कि एक दिन में हजार से 1500 आवेदन आ रहे हैं. ऐसे में थोड़ा सब्र रखना होगा. सभी को कागजात मिलेंगे. किसी तरह की कोई अवैध वसूली नहीं हो रही है.
कैथी पढ़ने वालों की हो रही तलाश
इधर, औरंगाबाद में जमीनी हकीकत यही है कि अधिकतर रैयत बिहार भू-सर्वेक्षण के नियमों से अभी तक अनभिज्ञ हैं. अधिकारी बताते हैं कि सर्वे के दौरान रैयत को घबराने की जरूरत नहीं है. खतियानी रैयत को ब्रिटिश शासनकाल के दौरान के खतियान की छायाप्रति और मालगुजारी रसीद प्रस्तुत करना है. जिन किसानों ने किसी दूसरे से जमीन खरीद की है, उनके लिए केवाला जरूरी है.
गैरमजरुआ खास, खरात, गोड़ईती जागीर और खिजमती जागिर जोत-कोड़ करने वाले के लिए जमींदार द्वारा निर्गत किया गया रिटर्न प्रस्तुत करने की बात सामने आ रही है. सर्वे के दौरान किसान तरह-तरह की समस्या से जूझ रहे हैं. एक तरफ जमाबंदी ऑनलाइन के क्रम में खाता, प्लॉट और रकबा में भारी गड़बड़ी की गयी है. इसमें सुधार कराने के लिए किसान अंचल कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं.
ये भी पढ़ें.. Bihar Land Survey: वंशावली को लेकर नहीं हों परेशान, यहां पढ़ें लेटेस्ट अपडेट
वर्तमान में परिमार्जन से भी त्रुटि में वांछित सुधार नहीं हो रहा है. ऐसी स्थिति में बिचौलियों की चांदी है. ब्रिटिश हुकूमत के दौरान तैयार किया गया सर्वे खतियान, रिटर्न, जमींदारी रसीद, बंदोबस्त पेपर की भाषा कैथी है. वर्तमान में जिले में इक्के-दुक्के लोग कैथी हिंदी के जानकार रह गये हैं.
वहीं जो रह गये हैं वे काफी वृद्ध हो गये हैं. कहीं कैथी जानने वाले वृद्ध हैं भी तो पढ़कर देवनागरी हिंदी में तैयार करने के लिए प्रति पेज 500 से लेकर 700 रुपये की मांग कर रहे हैं. लोगों के लिए मुंह मांगे रुपये देना मजबूरी हो गयी है. हालांकि वर्तमान समय के बहुत कम ही अधिकारी हैं, जो कैथी पढ़ने में सक्षम हैं.
Bihar News: बिहार गौरव पार्क, कबाड़ से बनेगा कमाल, पटना में ‘वेस्ट टू वंडर’ थीम पर नया आकर्षण
Bihar Flood Alert: बिहार के इस जिले में बागमती नदी का कहर, चचरी पुल बहा, गांवों में नाव ही बना सहारा
Bihar News: पूरा होगा, ग्रेटर पटना का सपना. पटना समेट 11 शहरों में बनेगी नोएडा जैसी टाउनशिप
Bihar Politics: तेजप्रताप यादव का नया सियासी गठबंधन, इन पांच दलों के साथ चुनावी मैदान में उतरने का ऐलान