Bihar Land Survey: जमींदारी प्रथा को समझे बिना बंदोबस्त जमीन का निर्धारण असंभव
Bihar Land Survey: सरकार सर्वे के माध्यम से न केवल राजस्व भूमि का पता लगाना चाह रही है, बल्कि सरकार यह जानना भी चाहती है कि ऐसे गांव में गैर बंदोबस्त जमीन कितनी बची हुई है. लैंड सेटलमेंट और लैंड टैक्स दोनों में से जमीन का हक कौन देगा, इस बात को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है.
By Ashish Jha | September 22, 2024 10:03 AM
Bihar Land Survey: पटना. रैयत, खतियान, तरमीन, लगान, मालगुजारी जैसे न जाने ऐसे कितने शब्द हैं जो पिछले 70 वर्षों से आम चर्चा में नहीं थे, लेकिन आज शहर से गांव तक यही शब्द हर दूसरे आदमी की जुबान पर है. बिहार सरकार ने राज्य के तमाम राजस्व गांव में जमीन का सर्वे कराने का फैसला किया है. सरकार सर्वे के माध्यम से न केवल राजस्व भूमि का पता लगाना चाह रही है, बल्कि सरकार यह जानना भी चाहती है कि ऐसे गांव में गैर बंदोबस्त जमीन कितनी बची हुई है. लैंड सेटलमेंट और लैंड टैक्स दोनों में से जमीन का हक कौन देगा, इस बात को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है.
किसी ने दस्तावेज को संभालने की जरुरत नहीं समझी
खतियान जहां बंदोबस्त का दस्तावेज है, वहीं लगान रसीद महज जमीन के लगान की जानकारी देता है. जानकारों का कहना है कि सरकार कैथी का प्रशिक्षण दे रही है, अमीनों को जमीन नापने की ट्रेनिंग दी जा रही है, लेकिन राजस्व पदाधिकारी को जमींदारी प्रथा की कोई समझ नहीं है, जमींदारी प्रथा को समझे बिना गैर बंदोबस्त जमीन का निर्धारण मुश्किल ही नहीं असंभव- सा दिख रहा है.
सरकार से रैयत तक भूल गये जमींदारी प्रथा
अपने खतियान को खोलते हुए मधुबनी जिले की हाटी पंचायत के पूर्व सरपंच सतीश नाथ झा कहते हैं कि जमींदारी हस्तानांतरण के बाद सरकार के पास राजस्व भूमि का आंकड़ा तो उपलब्ध हुआ, पर बंदोबस्त जमीन का आंकड़ा न जमींदारों ने सरकार को सौंपा, न ही सरकार ने जमींदारों से कभी लेने का प्रयास किया. आमतौर पर माना गया कि बंदोबस्त जमीन वही है, जिसका राजस्व मिलता है.
इकोनॉमी ऑफ मिथिला नामक पुस्तक के लेखक और इतिहासकार अवनिंद्र कुमार झा कहते हैं कि रैयत भी दो प्रकार के होते हैं, एक के साथ जमींदार का सेटलमेंट होता है और दूसरा केवल रेंटर होता. ऐसे में जमीन का कस्टोडियन दोनों को माना जायेगा. राजस्व से बंदोबस्त का कोई रिश्ता नहीं है. तिरहुत सरकार अर्थात दरभंगा राज के अंतर्गत बड़े पैमाने पर ऐसी जमीन हैं, जिनका बंदोबस्त हुआ, लेकिन वो बेलगामी रही.
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