Bihar Lok Sabha: बिहार में जातीय बंधन तोड़ एक दूजे के हुए चार लोगों ने चुनावी संग्राम में ठोकी ताल

Bihar Lok Sabha: बिहार में जाति की राजनीति कोई नयी बात नहीं है, लेकिन अब जाति की राजनीति में ही जाति टूट रही है. चुनावी संग्राम में चार ऐसे उम्मीदवार ने जिन्होंने जातीय बंधन को तोड़ विवाह बंधन जोड़ा है.

By Ashish Jha | May 3, 2024 6:15 AM
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Bihar Lok Sabha: राजदेव पांडेय,पटना. कभी भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर ने कहा था कि अंतरजातीय विवाह करने वालों को चुनाव के टिकट देने में प्राथमिकता दी जायेगी. तब की बात जिस संदर्भ में भी कही गयी हो, लेकिन आज के समय में कई ऐसे लोग भी है, जो चुनाव लड़ने के लिए ऐसी शादियां कर रहे हैं. इस बार कुछ ऐसे लोग सामने आये हैं, जो जातीय बंधन की डोर तोड़ कर सामाजिक बंधन में बंधने के बाद लोकसभा के चुनावी संग्राम में कूदे हैं. अंतरजातीय विवाह करने वाले चार लोकसभा प्रत्याशियों में से दो प्रत्याशी सुरक्षित सीटों से चुनाव मैदान में हैं. हालांकि चुनावी समर में उतरे प्रत्याशी जातीय जकड़न से ऊबर नहीं पा रहे हैं. अंतरजातीय खुलापन उनके काम आयेगा या जातीय जकड़न से उसकी धार कुंद हो जायेगी, इसका पता तो चुनाव परिणाम के बाद ही चलेगा. फिलहाल उनका चुनावी मैदान में होना ही बड़ा दिलचस्प है.

अर्चना रविदास : जातीय बंधन को तोड़ यादव जाति में की शादी

फिलहाल यह बात किसी भी छिपी नहीं है कि हिंदी बेल्ट के दूसरे राज्यों की तरह बिहार में चुनावी दाव जातीय आधार पर ही खेले जाते हैं. ऐसे में अर्चना रविदास जमुई सुरक्षित सीट से लोकसभा की राजद प्रत्याशी हैं. वे खुद रविदास जाति से हैं. शादी उन्होंने पिछड़ा वर्ग की सबसे प्रभावशाली जाति ‘यादव’ से की है. लोकसभा क्षेत्र में इस जातीय समीकरण को साधने के लिए उन्होंने पूरी मशक्कत के साथ काम किया है. देखना होगा कि जातीय खेमों में बंटा समाज अर्चना रविदास को कितनी ताकत देता है.

शांभवी : भूमिहार युवक से की शादी, ससुराल पक्ष भी कर रहा चुनाव में मदद

समतस्तीपुर सुरक्षित सीट से लोजपा (रामविलास ) प्रत्याशी के रूप में उतरी शांभवी चौधरी राज्य सरकार के कद्दावर मंत्री अशोक चौधरी की बेटी हैं. शांभवी पासी जाति से आती हैं, जबकि उनकी शादी भूमिहार समाज में हुई है. मायके के साथ ससुराल पक्ष के लोग भी उनके प्रचार में उतरे हैं. शांभवी अति शिक्षित हैं. हालांकि, चुनावी संग्राम में इस सीट का परिणाम सामाजिक नजरिये से बेहद अहम है.

अनीता देवी और पप्पू यादव

इसी तरह मुंगेर लोकसभा सीट से अनीता देवी महतो चुनाव मैदान में हैं. वे खुद धानुक हैं, जबकि उनके पति अशोक महतो कुर्मी हैं. चुनाव से ठीक पहले अशोक महतो ने अनीता देवी से शादी की थी. उधर, पूर्णिया लोकसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने भी अंतरजातीय विवाह किया है. उन्होंने पंजाबी लड़की से शादी की है. इस तरह साफ होता है कि अंतरजातीय विवाह कर चुके इन सांसद प्रत्याशियों में दो सुरक्षित सीटों से चुनाव मैदान में हैं, जबकि दो सामान्य सीट से हैं.

ऐसे सियासी नेताओं की खूब चमकी है किस्मत

तेजस्वी, सिद्धीकी, रामविसास पासवान, श्याम रजक और मीरा कुमार जैसी सियासी सख्शियतों ने भी की अंतरजातीय शादियां की हैं. सियासत के जानकारों के मुताबिक बिहार में अंतरजातीय और अंतर धार्मिक विवाह करने वाले नेताओं की एक लंबी फेहरिश्त है, जिनका सियासी सफर बेहद मजबूती से जारी भी है. उदाहरण के लिए पूर्व उप मुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी यादव ने हाल ही में एक इसाई लड़की से शादी की है. राजद के प्रधान राष्ट्रीय महासचिव नेता अब्दुल बारी सिद्धीकी और राजद के राष्ट्रीय महासचिव श्याम रजक ने कायस्थ से शादी की है. ये दोनों ही कई बार विधायक और राज्य सरकार में मंत्री रहे हैं. इसी तरह लाेकसभा की पूर्व अध्यक्ष मीरा कुमार और हुकुमदेव यादव ने भी अंतरजातीय शादी की है. दलित राजनीति का पर्याय रहे दिवंगत राम विलास पासवान ने भी अंतरजातीय शादी की थी. हाल ही में शशि यादव एमएलसी चुनी गयी हैं, लेेकिन उन्होंने ब्राम्हण नेता से शादी की. उनके पति वाम विचार के हैं. इसी तरह राजद की वरिष्ठ महिला नेता उर्मिला ठाकुर खुद नाई हैं. पति यादव हैं. वे एमएलसी चुनी गयी हैं.

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