जानें जरुरी बातें
वित्त विभाग के सचिव (संसाधन) जय सिंह ने स्पष्ट किया है कि पेंशन भुगतान आदेश (पीपीओ) जारी होने के बाद उसमें अन्य आश्रित का नाम जोड़ने के लिए निर्धारित शर्तों को पूरा करने के बाद ही इस पर कोई आदेश जारी करें. यदि संबंधित पेंशनर या उनके जीवनसाथी के निधन के पश्चात कोई संतान पेंशन का दावा प्रस्तुत करती है, तो उस दावे की कानूनी समीक्षा अनिवार्य करनी चाहिये. दावा प्रासंगिक दस्तावेज और प्रावधानों के अनुसार सही होने पर ही उसे महालेखाकार को भेजने की जरूरत है.
आजीवन पारिवारिक पेंशन का प्रावधान
पारिवारिक पेंशन के संदर्भ में वित्त विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि अविवाहित, परित्यक्ता एवं विधवा आश्रित पुत्रियों को 25 वर्ष की आयु के बाद भी पेंशन की सुविधा प्राप्त है. इसी प्रकार, जीविकोपार्जन में असमर्थ दिव्यांग संतानों को आजीवन पारिवारिक पेंशन का प्रावधान पहले से लागू है. इन मामलों में शर्त है कि संतान, पेंशनर या उनके जीवनसाथी के जीवनकाल में उन पर निर्भर रही हो.
पीपीओ में नाम जोड़ने को लेकर उठती हैं समस्याएं
विभाग ने यह भी बताया कि कई मामलों में पीपीओ निर्गत होने के बाद पेंशनर या उनके जीवनसाथी द्वारा अपने पात्र संतान का नाम जोड़ने का अनुरोध किया जाता है, जिससे प्रक्रियात्मक विलंब और भ्रम की स्थिति उत्पन्न होती है. स्पष्ट दिशा-निर्देशों के अभाव में ऐसे मामलों में कार्यालय स्तर पर निर्णय लेने में कठिनाई होती है, और अंततः वित्त विभाग से परामर्श मांगा जाता है.वित्त विभाग ने ऐसे मामलों में समय पर आवश्यक दस्तावेजों और कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करने की अपील की है, ताकि पेंशन संबंधी दावों में पारदर्शिता बनी रहे और पात्र लाभार्थियों को समय पर लाभ मिल सके.
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